बरेली: मां ने छीना आंचल, पिता ने हाथ छुड़ाया, बेबसी ने मासूमों को अनाथ बनाया
रजनेश सक्सेना, बरेली। मां ने ममता का आंचल हटा लिया और पिता ने हाथ छुड़ा लिया। मां-बाप के होते हुए भी हालातों ने बेबस मासूमों को यतीम बना डाला। ऐसे ही कुछ बेबस मासूम अब अनाथालय में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। मां-बाप ने दामन छुड़ाने के बाद एक बार भी पीछे मुड़कर इन मासूमों …
रजनेश सक्सेना, बरेली। मां ने ममता का आंचल हटा लिया और पिता ने हाथ छुड़ा लिया। मां-बाप के होते हुए भी हालातों ने बेबस मासूमों को यतीम बना डाला। ऐसे ही कुछ बेबस मासूम अब अनाथालय में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। मां-बाप ने दामन छुड़ाने के बाद एक बार भी पीछे मुड़कर इन मासूमों को नहीं देखा। अब अनाथालय ही इन मासूमों का घर है और वहां रहने वाले लोग ही इनका परिवार हैं।
परिवारों में बिखराव से मासूमों की जिंदगी तबाह हो रही है। वह अनाथ होकर मजबूरी में अनाथालय पहुंच रहे हैं। कई मामलों में तो माता-पिता होने के बाद भी बच्चों को अपनी जिंदगी अनाथालय में गुजारनी पड़ रही है। ऐसे ही कुछ मामले आर्य समाज अनाथालय में देखने को मिले हैं।
सिविल लाइंस स्थित आर्य समाज अनाथालय में 2019 में आई मासूम रिमझिम अनाथ नहीं है। फिर भी अनाथालय में रहने को मजबूर है। रिमझिम जब अनाथालय में आई थी तो वह महज तीन साल की थी।
अनाथालय के प्रधान हर्षवर्धन ने बताया कि रिमझिम गणेश नगर की रहने वाली है। उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी। उसके पिता के साथ क्या हुआ इसकी जानकारी किसी ने नहीं दी। रिमझिम को यतीमों की तरह छोड़ दिया। रिमझिम को भटकते देख उसे अनाथालय पहुंचाया गया। जब पता चला कि उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली है तो टीम ने उसकी मां से पूछा कि क्या वह अपनी बेटी को अपनाना चाहती है तो सौतेले पिता ने इनकार कर दिया। तब से रिमझिम अनाथालय में ही अपनी जिंदगी चला रही है।
सौतेले पिता से बेटा हुआ तो छोड़ दिया
प्रधान हर्षवर्धन ने बताया कि उनके अनाथालय में एक पूजा नाम की एक लड़की है। वह 2004 में उनके अनाथालय में आई थी। पूजा और उसकी मां उड़ीसा में रहती थी। पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई तो मां ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद पूजा के सौतेले पिता से उसकी मां को एक बेटा हुआ। इसके बाद उसने पूजा को घर से निकाल दिया। कहा कि वह पूजा को नहीं रख सकता। पूजा भटक रही थी तो लोगों ने उसे बरेली आर्य समाज अनाथालय में पहुंच गई। तब से वह यहीं पर है।
डीएनए टेस्ट से पहले मुस्कान भी थी अनाथ
करीब डेढ़ वर्ष पहले रामपुर जिले के रास डंडिया निवासी होरीलाल की पत्नी ममता ने एक प्री-मेच्योर बच्ची को जन्म दिया। अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मां ने अस्पताल प्रबंधन पर बेटे की जगह बेटी देने का आरोप लगाते हुए बच्ची को लेने से मना कर दिया था। मामला कोर्ट पहुंचा तो परिजन और अस्पताल प्रबंधन के तर्क-वितर्क के बाद कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने का आदेश किया। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट में मुस्कान के माता-पिता से संबंध पाए गए। सीडब्ल्यूसी के कड़े रुख के बाद माता-पिता ने मुस्कान को अपनाया मगर इससे पहले तक बच्ची को बॉर्न बेबी फोल्ड में ही रखा गया था।
