Makar Sankranti 2025: पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में मनेगी मकर संक्रांति, जानें दान पुण्य और स्नान का शुभ मुहूर्त

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के  शुभ संयोग में मनेगा। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मंगल पुष्य योग भी बनेगा। खास यह है कि 19 साल बाद यह दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में दान-पुण्य, आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। 

मकर संक्रांति पर पुण्यकाल सुबह 9.03 बजे शुरू होगा और शाम 5.37 बजे समाप्त होगा। आचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य जब धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा।

संक्रांति पर सुबह 10.17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और बाद पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास खत्म हो जाएगा और मांगलिक कार्य का सिलसिला शुरू हो जाएगा। सूर्य 9.03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। महापुण्यकाल सुबह 9.03 से 10. 50 बजे तक रहेगा। दोनों ही समय स्नान व दान के लिए अति शुभ हैं। स्नान-दान के लिए संक्रांति का पूरा दिन अच्छा माना गया है। 

शनि की वस्तुएं करें दान 

पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि सूर्य के शनि की राशि मकर में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं का दान व सेवन करना चाहिए। इससे सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है। कुंडली में अनिष्ट ग्रहों से भी लाभ मिलता है। मकर संक्रांति को कई नामों से भी जाना जाता है। माघी, उत्तरायणी और खिचड़ी भी कहते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का खासा महत्व है।

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