स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रतिबद्धता
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अमृत विचार। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को अगले पांच वर्ष तक जारी रखने की मंजूरी देकर देश के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है। इससे सभी क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएगा। वास्तव में कोई भी देश स्वास्थ्य के मुद्दे की अनदेखी नहीं कर सकता, क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य का स्तर मानव पूंजी सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। एनएचएम के तहत, देश में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ा है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ, सस्ती, और गुणवत्तापूर्ण बनाया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं को विकेन्द्रीकृत किया गया है। इसके तहत लोक चिकित्सा पद्धतियों को भी बढ़ावा दिया जाता है। गौरतलब है कि एनएचएम की शुरुआत 2005 में की गई थी, जिसका उद्देश्य जिला अस्पताल (डीएच) स्तर तक ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर समूहों को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना था।
वर्ष 2012 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की अवधारणा बनाई गई और एनआरएचएम को दो उप-मिशनों यानी एनआरएचएम और एनयूएचएम के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रूप में पुनः नामित किया गया। स्वास्थ्य मिशन के तहत देश ने कई ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल किए हैं। इससे देशभर में करीब 12 लाख स्वास्थ्यकर्मी जुड़े हैं। कोविड के भयावह काल का सामना करने में मिशन ने बड़ी भूमिका निभाई है और देश में 2.20 अरब कोविड टीके लगाए तथा सर्टिफिकेट बांटे गए हैं। वर्ष 1990 के बाद से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 83 प्रतिशत की गिरावट आई है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 75 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है। टीबी के मामले 2015 में प्रति एक लाख में 237 से घटकर 2023 में 195 हो गए हैं। वहीं इससे मृत्यु दर 28 से घटकर 22 हो गई है।
भारत ने खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान में 97.98 प्रतिशत कवरेज हासिल किया। मलेरिया नियंत्रण प्रयासों से मृत्यु दर और मामलों में कमी आई है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम ने वित्त वर्ष 2023-24 में 4.53 लाख से अधिक डायलिसिस रोगियों को लाभान्वित किया है। चूंकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाने का काम जारी रखता है। मिशन के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि का 33प्रतिशत हिस्सा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उपयोग किया जा सकता है। उम्मीद की जा सकती है कि मिशन के जारी रहने से देश में सभी स्तर पर पर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी सुविधाएं मौजूद होंगी। देखभाल की गुणवत्ता बढ़ेगी और यह नागरिकों की दवाओं तथा निदान तक बेहतर पहुंच बनेगी।