शाहजहांपुर: छुट्टा पशुओं के हमले से मौतों का सिलसिला जारी, अब दो लोगों की गई जान

शाहजहांपुर, अमृत विचार: जिले में छुट्टा पशुओं के हमले में लोगों के मारे जाने का सिलसिला नहीं रुक रहा है। इसका एक बड़ा कारण खूनी सांडों का न पकड़ा जाना है। लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद भी सांड खुलेआम गांवों में घूमते रहते हैं, जबकि इन्हें गोशाला भेजना जरूरी है क्योंकि ये कभी भी किसी अन्य के लिए जानलेवा हो सकते हैं। ताजा उदाहरण निगोही का है।
यहां तीन दिन के अंदर दो लोगों को सांडों ने मार डाला, लेकिन प्रशासन ने हमलावर सांडों को पकड़ने की जहमत नहीं उठाई। ये सांड खुलेआम घूम रहे हैं। बीते चार साल में 15 से ज्यादा लोग सांडों के हमले में या तो मारे गए या फिर गंभीर रूप से घायल हो गए। आश्चर्य की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में हमलावर सांड पकड़े ही नहीं गए। केवल दो-तीन मामलों में ही सांडों को पकड़ा गया, जबकि शेष मामलों में जान लेने वाले सांड खुलेआम घूम रहे हैं।
गांव में लोग इन्हें खूनी सांड कहकर पुकारते हैं और इन्हें पकड़कर गोशाला में छोड़ने की मांग करते हैं। इसके बावजूद इन्हें पकड़ा नहीं जा पा रहा है। इसके पीछे एक बड़ी वजह इनकी दहशत है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक जानते हैं कि एक सांड में औसतन पांच से दस आदमी का बल होता है। ऐसे सांडों को बिना बेहोश किए पकड़ना मुश्किल है, और इन्हें बेहोश करने का आदेश नहीं है। ऐसे में कोई अपनी जान जोखिम में डालकर इन पशुओं को पकड़ने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर, ये पशु गांव वालों के लिए लगातार मौत का कारण बन रहे हैं।
गांव देहात में खूंखार हो चुके कुछ पशु आज भी आतंक का पर्याय बने हुए हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद यह पशु गांवों से नहीं हट पा रहे हैं। निगोही में दो-दो लोगों को मार डालने वाले सांडों पर बीडीओ निगोही और एसडीएम पुवायां ने अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है। क्षेत्र के लोग दहशत में हैं।
पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने दावा किया था कि 31 दिसंबर 2023 के बाद कोई भी छुट्टा पशु सड़कों पर दिखाई नहीं देगा। इसके बावजूद तमाम छुट्टा पशु सड़कों से लेकर शहर की गलियों तक खुलेआम घूम रहे हैं। इनमें से कुछ सांड आए दिन किसी न किसी पर हमला कर रहे हैं। जिला मुख्यालय से लेकर गांवों तक छुट्टा गोवंशों के झुंड से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। जिले के अधिकारी और सरकार में बैठे मंत्री भरोसा दिला रहे हैं कि जल्द ही सभी पशु सड़कों से हटा दिए जाएंगे।
गोशालाओं में लगातार गोवंशों की संख्या में इजाफा हो रहा है, और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पशुओं को पाल भी रहे हैं। इसके बावजूद पशु सड़कों से नहीं हट पा रहे हैं।
छुट्टा पशुओं के लोगों को मार डालने की प्रमुख घटनाएं:
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16 जनवरी 2020: गांव फरीदापुर में 52 वर्षीय चंद्रपाल को खेत में फसल की रखवाली के दौरान हमलावर सांड ने पटक-पटक कर मार डाला।
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16 जून 2022: फर्रुखाबाद-बरेली हाईवे पर गांव खाई खेड़ा के चौराहे के पास 50 वर्षीय अज्ञात व्यक्ति को सांड ने हमला कर मार डाला।
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23 जनवरी 2023: ग्राम पंचायत कुंडरा के मजरा स्थित आलू के खेत में घुसे जानवरों को भगाने के दौरान शिवलाल की पत्नी रीना देवी की मौत।
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24 दिसंबर 2023: ग्राम पंचायत कोला के मजरा रैपुरा निवासी साधुराम को खेत की रखवाली के दौरान छुट्टा पशुओं ने दौड़ा लिया। तालाब में गिरे साधुराम की डूबने से मौत हो गई।
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19 अगस्त 2024: जलालाबाद थाना क्षेत्र के गांव शाहपुर निवासी 50 वर्षीय चरन सिंह को सांड ने हमला कर मार डाला।
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19 जनवरी 2025: निगोही के गांव घाटबोझ निवासी लीलावती को सांड ने पटक-पटक कर मार डाला।
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21 जनवरी 2025: निगोही के गांव चकौरा निवासी अजयवीर को सांड ने कुचल कर मार डाला।
हमारा प्रयास है कि छुट्टा पशुओं को सड़कों से हटाकर गोशालाओं में जल्द से जल्द भेजा जाए। इन पशुओं के चलते होने वाले हादसे रोकने के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं- डॉ. पीके त्यागी, प्रभारी सीवीओ।
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