भगवान खोजने से नहीं, पुकारने से मिलते हैं: पुण्डरीक गोस्वामी
लखनऊ, अमृत विचारः हर सनातनी को धर्म का मूल पता होना चाहिए। जब आपको मूल का ज्ञान हो जाएगा अज्ञानता स्वतः ही दूर हो जाएगी। जो ज्ञान अर्जित करते है वह ज्ञानी कहलाते है जो विद्या को अर्जित करता है उसे विद्वान कहते हैं। श्री कृष्ण दो जगह अवश्य मिलते हैं एक तो भक्तों के बीच या गायों के मध्य। भगवान खोजने से नहीं पुकारने से मिलते हैं। यह बातें पुण्डरीक गोस्वामी महराज ने शुक्रवार को सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कही।
पुण्डरीक महराज ने भक्तों को कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की कथा सुनाई जिसे सुनकर भक्तगण भाव विभोर हो गये। उन्होंने बताया कि राधा रमन आज राम की भूमिका के रूप में सिंहासन पर विराजमान हैं और लखन लाल की भूमिका में आप सभी भक्त हैं। उन्होंने कथा के दौरान कहा कि कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं पार्थ हमारे दरवाजे पर बहुत भीड़ लगी रहती है। चार प्रकार की भीड़ होती है पहली भीड़ दुखी, दूसरी भीड़ जिज्ञासा, तीसरी सनातनी और चौथी ज्ञानी भीड़। परमात्मा महात्मा को ढूंढता है और महात्मा परमात्मा को, जब इन दोनों का मिलन होता है उसे ही रास कहते हैं।
आयोजक अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि भक्तों पर पुष्पवर्षा की गई। तत्पश्चात आरती हुई और प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में नवीन गुप्ता, लोकेश अग्रवाल, आनंद रस्तोगी, शिवम बंसल, राहुल गुप्ता, मनोज राय, कुश मिश्रा, चारु मिश्रा, अरविंद तिवारी, सुनील मिश्रा, आदित्य अग्रवाल, हनी शुक्ला, मनोज अग्रवाल के साथ सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।
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