छह महीने में दोगुना हुआ पतियों पर अत्याचार, पारिवारिक न्यायालय में 20 प्रतिशत मामलों में लोग पत्नी से परेशान

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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अमित कुमार पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचारः अपने शहर में भी अतुल सुभाष की तरह पत्नी की प्रताड़ना का शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है। आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया, पड़ोसी जैसे स्टेटस की महत्वाकांक्षा और ससुराल पक्ष के रिश्तों को तवज्जो न देने पर टोकने पर पत्नियां दहेज उत्पीड़न, पारिवारिक हिंसा के मामले में फंसाने की धमकी देकर मानसिक उत्पीड़न कर रही हैं। पत्नी के उत्पीड़न से परेशान लोगों के मामले पारिवारिक न्यायालय में लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले 6 महीने में पत्नी पीड़ित पतियों का आंकड़ा दोगुना से अधिक हो गया है। इनमें से ज्यादातर पति हर हाल में पत्नी से तलाक चाहते हैं।

पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग अरोड़ा ने बताया कि पिछले 6 महीने में पारिवारिक न्यायालय में पत्नी द्वारा पति के उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आधार पर उन्होंने बताया कि पारिवारिक विवाद के मामलों में 15 से 20 प्रतिशत पति द्वारा पति के उत्पीड़न करने के होते हैं। 6 महीने पहले प्रत्येक महीने पत्नी द्वारा पति का उत्पीड़न करने के 20 से 25 मामले आते थे, अब इनकी संख्या 50 से 60 पहुंच गई है। इनमें से एक-दो ही दंपति बहुत समझाने पर साथ रहने को राजी हो पाते हैं, अन्य में पति तलाक दिलाने की ही मांग करते हैं।
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ऐसे आरोप लगाते हैं पति

पारिवारिक न्यायालय में जो मामले आ रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा में पति वित्तीय शोषण का आरोप लगाते हैं। इसके अलावा अपमानजनक व्यवहार, उनके परिवार व रिश्तेदारों को तवज्जो न देने और मानसिक उत्पीड़न करने की शिकायत करते हैं। कई मामलों में पति ने ऐसा भी बताया कि कई बार उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया, लेकिन बच्चों या माता-पिता का चेहरा याद कर उत्पीड़न रहता रहा हूं।

मन में गलत विचार न लाएं, कानून का सहरा लें

अनुराग अरोड़ा ने कहा कि, पारिवारिक उत्पीड़न के मामले में किसी तरह का आत्मघाती कदम बिल्कुल न उठाएं। कानून का सहारा लें। मानसिक उत्पीड़न के मामलों में धारा 210 भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता में शिकायत देकर कानूनी कार्रवाई करा सकता है। दोनों पक्षों को सुनने व साक्ष्यों के आधार पर अदालत आरोपी के खिलाफ नोटिस, मुआवजा, या अन्य आदेश दे सकती है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से अपनी पीड़ा साझा करें। पेशेवर काउंसलर से भी ममद ली जा सकती है।

केस- 1. राजाजीपुरम निवासी एक व्यक्ति की शादी वर्ष 2015 में कानपुर से हुई थी। छह महीने सब ठीक चला। इसके बाद छोटी-छोटी बातों पर कलह होने लगी। ज्यादातर पत्नी आर्थिक मामलों को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगी।पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करने की धमकी भी दी जाने लगी। परेशान होकर 2019 में पारिवारिक न्यायालय में वाद दायर कर दिया। अभी तक सुनवाई चल रही है। पति और पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं।

केस-2. मटियारी निवासी व्यक्ति की शादी 2017 में हुई थी। करीब दो वर्ष तक दांपत्य जीवन हंसी खुशी चलता रहा। इसके बाद आर्थिक और सामाजिक स्तर को लेकर बात-बात पर कहासुनी होने लगी। कुछ कहने पर पत्नी अपने भाइयों को बुला लेती थी। कई बार भाइयों को बुलाकर मारपीट भी करवाई। इसके बाद उसने मानसिक और शरीरिक उत्पीड़न शुरू कर दिया। समझौता का कोई रास्ता नहीं दिखा तब न्यायालय में वाद दायर कर संबंध विच्छेद क लिया।

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