कानपुर देहात में ट्रेन से कटकर दो की मौत: पनकी मंदिर में रहती दोनों, महाकुंभ से लौट रही थी...
रूरा स्टेशन पर लाइन पार करते जम्मू-ऊधमपुर मेल की चपेट में आई
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कानपुर देहात, अमृत विचार। प्रयागराज महाकुंभ से स्नान कर लौटी दो महिला साध्वी गोमती एक्सप्रेस से उतरने के बाद स्टेशन पर डाउन लाइन पार करने लगी। इसी दौरान वह जम्मू-ऊधमपुर मेल की चपेट में आ गई। जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। एक साध्वी की शिनाख्त नहीं हो सकी है। मौके पर पहुंची जीआरपी ने छानबीन की है।
दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर स्थित रूरा स्टेशन पर बुधवार की सुबह करीब नौ बजे कानपुर से आई गोमती ट्रेन से उतरने के बाद रेलवे ट्रैक पार करते वक्त डाउन लाइन के खंभा नंबर 1061/34 के पास जम्मू-ऊधमपुर मेल की चपेट में आने दो महिला साधुओं की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों साध्वियां प्रयागराज महाकुंभ में स्नान कर लौट रही थी।
ट्रेन के ड्राइवर ने इसकी सूचना स्टेशन अधीक्षक अशोक कुमार को दी। स्टेशन मास्टर की सूचना पर पहुंची जीआरपी पुलिस ने छानबीन की। एक महिला के पास से मिले कागजात से उसकी पहचान श्यामा मुनि (70) संरक्षक भोला मनी निवासी जुआ थाना फंफूद जिला औरैया के रूप में हुई। जबकि दूसरी साध्वी का शव क्षत-विक्षत होने के चलते उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी है।
पुलिस ने सूचना पर श्यामा मुनि की रिश्तेदारी रसूलाबाद थाना क्षेत्र के सिंहपुर रसवल में रहने वाले रिश्तेदार को दी। स्टेशन पहुंचे रिश्तेदार राजू ने महिला की शिनाख्त श्यामा मुनि के रूप में की।
राजू ने बताया कि वर्तमान में श्यामा मुनि लोग पनकी मंदिर में रह कर अपना जीवन यापन कर रही थी। वह अक्सर घर आया जाया करती थी। उनका कोई वारिश नहीं है। जीआरपी दरोगा अर्पित तिवारी ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। वहीं दूसरी साध्वी की शिनाख्त के पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं।
परिजनों ने शव लेने से मना किया
रूरा स्टेशन स्टेशन अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि महिला साधु अनाथ है। परिचित के आए लोगों ने शव लेने से मना कर दिया है। हालाकि उन्हें मनाने के लिए काफी प्रयास किया गया है। फिलहाल वह शव लेने को तैयार नहीं हैं। जिसके चलते जीआरपी साध्वियों के शवों का अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करेगी।
दो साल की उम्र में अनाथ मिली थी श्यामा मुनि
सिंहपुर रसवल के रहने वाले राजू ने बताया कि उनके बड़े भाई स्व. नाथू राम जोकि एक नागा साधु थे। उनको श्यामा मुनि जनपद औरैया के जंगलों में मिली थी। तब उनकी उम्र लगभग दो साल थी। उनके बड़े भाई ने ही श्यामा का पालन-पोषण किया और साधु बनने की दीक्षा दी। तब से उनका सिंहपुर रसवल गांव आना जाना हो गया था।
भगदड़ के बाद लौटी थी दोनों साध्वी
राजू के मुताबिक श्यामा मुनि कानपुर नगर के पनकी मंदिर में रहती थी। वह महाकुंभ में गई थी। मंगलवार रात भगदड़ के कारण वह साथी साध्वी के साथ वापस आ रही थी। तभी रूरा में हादसे की शिकार हो गईं। फिलहाल आरपीएफ पनकी मंदिर से अन्य जानकारी जुटाने में लगी हुई है।