संपादकीय: बुनियादी ढांचे में सुधार

सरकार ने देश के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य में क्रांतिकारी सुधार की महत्वाकांक्षी यात्रा शुरू कर दी है। बजट में पूंजीगत व्यय जैसी चिंताओं को अधिक तवज्जो नहीं दी गई है। इसलिए बजट को अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों और राजनीति को संतुलित करने के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसे अक्सर विभिन्न मंत्रालयों को क्षेत्रीय आवंटन या विभिन्न सरकारी योजनाओं की घोषणाओं द्वारा दर्शाया जाता है। सरकार ने कुछ राज्यों के लिए विशेष घोषणाएं तो की हैं, मगर उससे सरकारी खजाने पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। कई लोगों की ओर से कहा जा रहा है कि बजट में बड़े सुधार के विचार की कमी रह गई।
रविवार को एक साक्षात्कार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसी सभी शंकाओं को दूर कर दिया । वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए हैं, जो कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा भी नहीं उठाए गए हैं। सीतारमण ने उन राज्यों की भी सराहना की, जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय के तहत 50 साल के लिए ब्याज-मुक्त राशि प्राप्त हुई है। वित्त मंत्री ने कहा उन्होंने पूंजीगत व्यय और व्यय की गुणवत्ता में भी बहुत रुचि दिखाई है, इसलिए यह बहुत अच्छा रहा है ।
बजट अपने उद्देश्य पर कायम है, जो यह सुनिश्चित करता है कि मौजूदा नीतिगत पहल और वादे वैश्विक अनिश्चितता और बाहरी खाते पर थोड़े दबाव के समय लागू किए जाएं। कुल मिलाकर केंद्रीय बजट 2025-26 इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसमें प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स को औपचारिक मान्यता और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने की व्यापक पहल की गई है। वास्तव में गिग वर्कफोर्स देश के नए युग की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देता है। भारत की गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में तेजी से विस्तार हुआ है, नीति आयोग की रिपोर्ट में भारत की तेजी से बढ़ती गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में अनुमान लगाया गया है कि इस क्षेत्र में कार्यबल 2024-25 में 1 करोड़ को पार कर जाएगा और 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाएगा।
बजट ने खुदरा क्षेत्र की कई अहम उम्मीदों को भी पूरा किया है। यह बजट एक प्रगतिशील और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो खुदरा उद्योग को मजबूती देता है, व्यवसायों को सशक्त बनाता है। उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अगले कुछ दिनों में ब्याज दरों में कटौती करेगी। यदि बैंक इन कटौतियों को उधारकर्ताओं तक पहुंचाते हैं, तो निजी निवेश को जरूरी प्रोत्साहन मिल सकता है। अगर 2025 में आर्थिक वृद्धि पटरी पर लौट आई तो फिर यह अच्छी बात होगी।