देवभूमि के गांवों में गूंजेंगी वेद, पुराण, उपनिषदों की ऋचाएं
अमित शर्मा, देहरादून
अमृत विचार: उत्तराखंड में देववाणी संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए धामी सरकार ने सभी 13 जिलों में एक-एक आदर्श संस्कृत ग्राम घोषित किया है। इन गांवों में सभी कामकाज और बोलचाल देववाणी संस्कृत में होंगे। राजभाषा संस्कृत को बढ़ावा देने, राज्य में संस्कृत का गौरव पुनर्स्थापित करने और आम लोगों को संस्कृत का अभ्यास कराने के लिए इन गांवों में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली द्वारा अंशकालिक संस्कृत प्रशिक्षक एवं सहायक प्रशिक्षकों की तैनाती की जाएगी।
वार्तालाप से लेकर कामकाज संस्कृत में
इन गांवों में सूचना और प्रतीक चिन्ह संस्कृत भाषा में उकेरे मिलेंगे। स्थानीय लोग आपसी वार्तालाप से लेकर सभी कामकाज संस्कृत में करते नजर आएंगे। इन आदर्श ग्रामों में सभी ग्रामीणों को संस्कृत भाषा का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और सनातन संस्कृति के अनुसार विभिन्न संस्कारों के अवसर पर वेद, पुराणों और उपनिषदों की ऋचाओं का पाठ किया जाएगा। धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों पर महिलाओं द्वारा संस्कृत भाषा में गीत-गायन भी होगा। आपसी समरसता बढ़ाने को अनूसूचित जाति एवं अनूसूचित जनजाति के अधिकाधिक बच्चों को संस्कृत पढ़ने व उनकी प्रतिभागिता बढ़ाने को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इन आदर्श गांवों में देववाणी की गूंज
(क्रमश: जिला-ब्लॉक-गांव)
नैनीताल-कोटाबाग-पांडे
अल्मोड़ा-ताड़ीखेत-जैंती
चम्पावत-खर्क कार्की
पिथौरागढ़-मूनाकोट-उर्ग
बागेश्वर-शेरी
यूएस नगर-खटीमा-नगला तराई
देहरादून-डोईवाला-भोगपुर
हरिद्वार-बहादराबाद-नूरपुर पंजनहेड़ी
उत्तरकाशी-मोरी-कोटगांव
चमोली-कर्णप्रयाग-डिम्मर
पौड़ी-खिर्सू-गोदा
रुद्रप्रयाग-अगस्तमुनि-बैजी
टिहरी-प्रतापनगर-मुखेम
देववाणी संस्कृत राज्य की द्वितीय राजभाषा है और इसके संरक्षण व संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार ने सभी जनपदों में एक-एक आदर्श संस्कृत ग्राम की घोषणा की है। इन गांवों में संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाएगा और नई पीढ़ी को संस्कृत के माध्यम से भारतीय दर्शन और ज्ञान परम्परा से जोड़ा जायेगा। -डॉ. धन सिंह रावत, संस्कृत शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड
