26 फरवरी को मनाई जाएगी महाशिवरात्रि: श्रवण नक्षत्र में सुबह से शाम तक रहेगा प्रभाव, अपनी राशि से भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न...

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है श्रवण नक्षत्र इस दिन सुबह से लेकर शाम 5:08 बजे तक प्रभावी रहेगा। संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि इस दिन बुध, शनि और सूर्य तीनों कुंभ राशि में विराजमान होंगे ऐसे में बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है जो कई राशियों के लिए शुभ साबित होगा।

Pavan Tiwari (1)

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शंकर का माता पार्वती से विवाह हुआ था।

शिवरात्रि का हर क्षण शिव कृपा से भरा होता है वैसे तो ज्यादातर लोग प्रातःकाल पूजा करते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर रात्रि की पूजा सबसे अधिक फलदायी होती है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है- चार पहर की पूजा ये पूजा संध्या से शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त तक की जाती है इसमें रात्रि का सम्पूर्ण प्रयोग किया जाता है।

पहले पहर की पूजा

चार पहर पूजन से धर्म अर्थ काम और मोक्ष, सब प्राप्त हो जाते हैं यह पूजा आमतौर पर संध्याकाल में होती है प्रदोष काल में शाम 06.00 बजे से 09.00 बजे के बीच की जाती है इस पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करते हैं जल की धारा से उनका अभिषेक किया जाता है इस पहर की पूजा में शिव मंत्र का जप कर सकते हैं।

दूसरे पहर की पूजा 

यह पूजा रात लगभग 09.00 बजे से 12.00 बजे के बीच की जाती है इस पूजा में शिव जी को दही अर्पित की जाती है साथ ही जल धारा से उनका अभिषेक किया जाता है दूसरे पहर की पूजा में शिव मंत्र का जप करें इस पूजा से व्यक्ति को धन और समृद्धि मिलती है।

तीसरे पहर की पूजा

यह पूजा मध्य रात्रि में लगभग 12.00 बजे से 03.00 बजे के बीच की जाती है इस पूजा में शिव जी को घी अर्पित करना चाहिए इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक करना चाहिए इस पहर में शिव स्तुति करना विशेष फलदायी होता है शिव जी का ध्यान भी इस पहर में लाभकारी होता है इस पूजा से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

चौथे पहर की पूजा

यह पूजा सुबह लगभग 03.00 बजे से सुबह 06.00 बजे के बीच की जाती है इस पूजा में शिव जी को शहद अर्पित करना चाहिए इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक होना चाहिए इस पहर में शिव मंत्र का जप और स्तुति दोनों फलदायी होती है इस पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।

"रूद्राभिषेकं प्रकृर्वन्ति दुःखनाशो भवेद् ध्रुवम्" के अनुसार रूद्राभिषेक से निश्चित दुःख का नाश होता है। शिवरात्रि के दिन शिव जी का अभिषेक जिसे रूद्राभिषेक कहा जाता है, कराना बेहद कारगर सिद्ध होता है, रूद्राभिषेक विभिन्न कामनाओं के लिए रामबाण उपाय है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर चार बार पूजन का चार प्रहर में विधान आता है और चार बार रुद्राभिषेक भी सम्पन्न करना चाहिए, प्रथम प्रहर में दुग्ध द्वारा शिव के ईशान स्वरूप को, द्वितीय प्रहर में दधि द्वारा अघोर स्वरूप को, तृतीय प्रहर में घृत द्वारा वामदेव रूप को तथा चतुर्थ प्रहर में मधु द्वारा सद्योजात स्वरूप का अभिषेक कर पूजन करना चाहिए। यदि साधक चार बार पूजन न भी कर सके तो प्रथम प्रहर में एक बार तो पूजन अवश्य ही करे।

अपनी राशि से भगवान शिव को प्रसन्न करें 

मेष : शहद एवं चीनी
वृष : दही एवं, दूध, घी
मिथुन : बेलपत्र एवं लाल फूल
कर्क : दूध, सफेद वस्त्र
सिंह : शहद एवं गुड़
कन्या : बेलपत्र एवं शहद
तुला : गन्ने का रस, घी
वृश्चिक : लाल फूल, गंगा जल
धनु : चंदन, पीला फूल
मकर : बेल पत्र एवं गंगा जल
कुंभ : मलाई एवं मिश्री
मीन : शहद, बेर का फल

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