Lucknow News : हैलो चाचा... मुझे नहीं पता मैं कहां हूं, ये लोग 30 हजार रुपये मांग रहे हैं, जानिये किसान के अपहरण की पूरी कहानी
सर्विलांस टीम की मदद से पुलिस ने किसान को सीतापुर जनपद के महमूदाबाद से किया बरामद
Amrit Vichar, BKT / Lucknow : हैलो चाचा... मुझे नहीं पता मैं कहां हूं, ये लोग मुझे बाहर निकलने नहीं दे रहे हैं। मुझे मारते-पीटते और 30 हजार रुपये की फिरौती मांग रहे हैं। जल्दी से बदमाशों को रुपया देकर मुझे बचाओ....लापता किसान दुर्गेश रावत ने परिजनों से सम्पर्क कर खुद के अपहरण की बात बताई तब उनके पैरों के नीचे से जमीं खिसक गई। हालांकि, 24 घंटे के भीतर पुलिस ने सर्विलांस टीम की मदद से किसान को सीतापुर के महमूदाबाद से सकुशल बरामद कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। पूछताछ के दौरान पता चला कि रुपया उधार लेकर जब उसे दवाईयां खरीदनी पड़ी तब उसने खुद के अपहरण की साजिश रच डाली। इस दौरान पुलिस ने किसान को सख्त हिदायत भी दी है।
दरअसल, बीकेटी थाना अंतर्गत मंझोरियां गांव निवासी किसान दुर्गेश रावत मनोरोगी है। बुधवार सुबह वह कस्बे में लगने वाली सब्जी मंडी गया था। इसके बाद वह दोबारा घर नहीं लौटा। जिसके बाद परिजन रातभर उसकी खोजबीन करते है। बावजूद इसके दुर्गेश का कहीं सुराग नहीं मिला। इस बीच किसान पथ पर शिवखर गांव के समीप दुर्गेश की साइकिल परिजनों को मिली। फिर किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर परिजनों ने बीकेटी थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी। गुरुवार सुबह दुर्गेश ने चाचा को कॉल किया और कहाकि कुछ बदमाशों ने उसे अगवा कर लिया है। उसे नहीं पता वह कहां है। बदमाश उसे बाहर भी निकलने नहीं दे रहे हैं। वह उसे मारते-पीटते है और उसे छोड़ने के लिए 30 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं।
रुपये न देने पर बदमाश उसकी हत्या करने की भी धमकी दे रहे है। दुर्गेश की बात सुनकर घबराये परिजनों से पुलिस से मदद मांगी। सर्विलांस टीम की मदद से पुलिस ने दुर्गेश की लास्ट लोकेशन खंगाली। इसके आधार पर पुलिस ने दुर्गेश को सीतापुर जनपद के महमूदाबाद इलाके से सुरक्षित बरामद किया। अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक कैलाश दुबे ने बताया कि सीतापुर पहुंची पुलिस टीम को दुर्गेश सड़क किनारे घूमता मिला था।
पूछताछ में आरोपित ने बताया कि कई वर्षों से उसका इलाज चल रहा है। उसने बड़े भाई राजेश और भाभी से इलाज के लिए रुपये मांगे थे, लेकिन दम्पति ने उसे रुपये देने से मना कर दिया था। जिसके बाद उसे पांच हजार रुपये उधार मांगने पड़े थे। इन रुपयों से उसने अपने लिए दवाईंया खरीदी थी। कर्ज को चुकाने और बड़े भाई को सबक सीखने के लिए दुर्गेश ने खुद के अपहरण की कहानी रच डाली थी। अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि किसान दुर्गेश को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।
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