खबर का असरः मंडलायुक्त ने सहायक शिक्षा निदेशक से मांगी आख्या, खंड शिक्षा अधिकारी बोले- भवन ध्वस्तीकरण की नहीं मिली अनुमति

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
On

बहराइच, अमृत विचार। जिले के उर्रा बाजार में स्थित कन्या जूनियर विद्यालय के भवन की बदहाली की खबर अमृत विचार अखबार में 21 फरवरी को प्रकाशित हुआ था। इस खबर का संज्ञान लेकर मंडलायुक्त ने सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक देवीपाटन मंडल से जवाब मांगा था। जिस पर खंड शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट दी है कि भवन काफी जर्जर है। जिसके ध्वस्तीकरण के लिए पत्र लिखा गया है। एक दशक बाद भी अभी तक भवन के ध्वस्तीकरण की अनुमति नहीं मिली है।

Untitled design - 2025-03-01T132756.311

विकास खंड मिहीपुरवा अंतर्गत ग्राम पंचायत उर्रा बाजार में कन्या जूनियर विद्यालय की जमीन और जर्जर भवन है। यहां पर बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करती थीं। लेकिन जर्जर भवन की बेसिक शिक्षा विभाग अब कोई सुधि नहीं ले रही रहा है। जिससे विद्यालय के नाम दर्ज जमीन और भवन खंडहर बन गया है। 

इस खबर को अमृत विचार अखबार में 21 फरवरी के अंक में पहले जहां होती थी पढ़ाई अब वहां टहल रहे मवेशी हेडिंग से प्रकाशित किया था। इस खबर का संज्ञान लेते हुए देवीपाटन मंडल के मंडलायुक्त ने सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक से कारण सहित जवाब तलब किया था। सहायक शिक्षा निदेशक ने जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर जानकारी मांगी। जिस पर विकास खंड मिहीपुरवा के खंड शिक्षा अधिकारी अजीत कुमार सिंह जवाब मांगा था। खंड शिक्षा अधिकारी ने सहायक शिक्षा निदेशक को जवाब भेजा है। 27 फरवरी को भेजे गए जवाब में उन्होंने बताया है कि 14 नवंबर 1972 को गांव निवासी त्रिलोक चंद्र मनीलाल और जगदीश चंद्र गोयल ने अपनी माता अनार देवी की पुण्यतिथि पर क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा के लिए जमीन दान किया था। विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण 500 मीटर दूर स्थित उच्च प्राथमिक में बच्चे पढ़ रहे हैं। भवन ध्वस्तीकरण की अनुमति न मिलने के चलते कार्य रुका है।

Untitled design - 2025-03-01T132932.002 

दो किलोमीटर दूरी पर जाते हैं 

खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा दी गई रिपोर्ट में उच्च प्राथमिक विद्यालय की दूरी 500 मीटर बताई गई है। जबकि विद्यालय की दूरी डेढ़ से दो किलोमीटर है। अगर पुराना भवन तोड़कर नया बन जाए तो बाजार के साथ उसी के आसपास के मजरे के बच्चों को दूर शिक्षा ग्रहण करने के लिए न जाना पड़े।

यह भी पढ़ेः गोरखपुर मस्जिद पर प्रशासन का एक्सन, अवैध अतिक्रमण को तोड़ने का काम शुरू

संबंधित समाचार