फायर सूट पहनकर जंगलों की आग बुझाएंगे फायर वॉचर
हल्द्वानी, अमृत विचार : अब जंगलों की आग बुझाते-बुझाते फायर वॉचर व वन कर्मी इस आग में झुलसेंगे न ही इस आग में उनके प्राण स्वाहा होंगे। आग का धुआं भी उन्हें नहीं रूला सकेगा। जंगलात ने फ्रंट लाइन स्टाफ को आग से बचाने के लिए फायर सूट मुहैया कराए हैं। उत्तराखंड में पहली बार वनाग्नि बुझाने वाले कर्मचारियों को फायर सूट दिए गए हैं। तराई पूर्वी वन डिवीजन ने इसकी पहल की है, फायर सूट पहनाकर सफल ट्रायल भी हो गया है।
तराई पूर्वी वन डिवीजन ने जंगलों की आग से निबटने के लिए सशक्त इंतजाम किए हैं। तराई के जंगलों को आग से बचाने के लिए 159 फायर वॉचर तैनात किए गए हैं जो जंगलों में वन कर्मचारियों के साथ झांपे, पानी से आग बुझाएंगे। किसी भी वनाग्नि की सूचना पर तुरंत रिस्पांड करेंगे। इसी के साथ ही वन अधिकारियों ने बिनसर अभ्यारण्य की घटना से सबक लिया है। इस घटना में छह वॉचरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। वन अधिकारियों ने फ्रंट लाइन स्टाफ जैसे फॉरेस्ट गार्ड, फायर वॉचर को आग से बचाने के लिए फायर सूट क्रय किए हैं। इन सूटों को पहनकर कर्मी आग बुझाने के लिए जाएंगे। इससे उनको आग में जलने का खतरा नहीं रहेगा। वे बिना किसी डर के आग में जाकर बुझा सकेंगे। वन विभाग ने फायर सूट को लेकर किशनपुर रेंज के जंगलों में हुई मॉक ड्रिल में ट्रायल किया था जो पूरी तरह सफल रहा है।
जानलेवा धुंए से बचाएगा स्मोक गॉगल्स व मास्क
इसके अलावा वनाग्नि में धुआं भी अक्सर जानलेवा हो जाता है। फ्रंट लाइन स्टाफ को इस धुएं से बचाने के लिए स्मोक गॉगल्स व मास्क भी दिए गए हैं। स्मोक गॉगल्स की खूबी यह है कि इसे पहनने से स्पष्ट दिखाई देगा और धुएं का असर भी आंखों भी नहीं होगा। इसके अलावा धुएं से दम भी घुटता है इससे बचाव के लिए कर्मचारियों को मास्क दिए गए हैं। सुरक्षा के लिए हेलमेट भी दी गई है।
वनाग्नि बुझाने वाले कर्मचारियों के लिए फायर सूट मंगाए गए हैं। यह पहली बार जब फायर सूट मंगाए गए हैं। इसके अलावा धुएं से बचाव के लिए स्मोक गॉगल्स व मास्क भी मुहैया कराए गए हैं। फायर सूट का सफल ट्रायल कर लिया गया है। जरूरत के अनुसार फायर सूट रेंजों में दे दिए गए हैं। हिमांशु बागरी, डीएफओ तराई पूर्वी वन डिवीजन हल्द्वानी
घने जंगलों की आग बुझाएंगे वाटर कैंपर
तराई पूर्वी वन डिवीजन में वनाग्नि से निबटने को परंपरागत साधनों के साथ ही 20-20 लीटर वाले वाटर कैंपर भी रखने का फैसला किया है। डीएफओ बागरी ने बताया कि रेंज-डिप्टी रेंज अधिकारियों, फॉरेस्टर्स एवं फॉरेस्ट गार्ड ने बताया कि वनाग्नि बुझाने के दौरान कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है घने जंगल या जहां वाहन नहीं जा सकता है, वहां वनाग्नि खासकर किसी सूखे पेड़ वगैरह में आग लग गई है, इसको बुझाने के लिए पानी चाहिए लेकिन वाटर टैंकर नहीं पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति से निबटने के लिए 50 से अधिक वाटर कैंपर खरीदे जा रहे हैं, प्रत्येक रेंज में चार-पांच वाटर कैंपर दिए जाएंगे जो हर समय सरकारी वाहन में मौजूद रहेंगे ताकि जंगल में जरूरत पड़ने पर पानी आपूर्ति की जा सके। यह वजन में हल्के होने के साथ ही पानी भरने में सुविधा रहेगी।
कुमाऊं की 14 वन डिवीजनों में 2,144 फायर वॉचरों का होगा बीमा
हल्द्वानी : डीएफओ बागरी ने बताया कि जंगलात ने बिनसर अभ्यारण्य घटना से सबक लेते हुए फायर वॉचरों का बीमा कराने का फैसला किया है। कुमाऊं की टेरिटोरियल (हल्द्वानी, रामनगर, तराई केंद्रीय, तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर) और नॉन टेरिटोरियल वन मिलाकर कुल 14 वन डिवीजन हैं जिनमें फायर सीजन के लिए 15 फरवरी से 15 जून तक 2,144 फायर वॉचरों की तैनाती की गई है। इन वॉचरों का वन विभाग की ओर से बीमा किया जा रहा है। इसमें प्रत्येक फायर वॉचर का 10-10 लाख रुपये का बीमा किया जाएगा। किसी भी अनहोनी होने पर वॉचर के आश्रितों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
