Women Day 2025: वियतनाम की तर्ज पर यूपी में खतरनाक कारखानों में काम कर सकेंगी महिलाएं...
सभी 13 खतरनाक प्रकृति के कारखानों से परहेज रखा गया था, अब तब्दीली की गयी
कानपुर, (महेश शर्मा)। खतरनाक कारखानों में महिलाओं को रोजगार देने के मामले उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा। मुख्य सचिव ने शासनस्तर पर हुई बैठक में साफ कहा है कि चाहे भारत हो या वियतनाम महिलाएं समान हैं और पुरुष के साथ कदमताल करते हुए कारखानों में काम कर सकती हैं। तो जब वियतनाम में महिलाओं के नियोजन में कोई प्रतिबंध नहीं है तो फिर उत्तर प्रदेश में क्यों? मुख्य सचिव ने महिलाओं पर प्रतिबंध के औचित्य पर सवाल उठाया।
महिलाओं को कारखानों में रोजगार के मामले में यूपी में कारखाना अधिनियम के नियम-उपनियम में परिवर्तन हुए हैं जिसमें महिलाओं को खतरनाक कारखानों में रोजगार का मुद्दा शिद्दत से चर्चा में है। इसके लिए एक समिति गठित की गयी थी। जिसने केंद्र सरकार से दिशा निर्देश प्राप्त करके अपनी रिपोर्ट दी है। बीती सात फरवरी की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी। सहायक कारखाना निदेशक सचिन यादव ने बताया कि एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गयी थी, जिसकी रिपोर्ट अपेक्षित है।
जानकारी के अनुसार इस प्रकरण में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति को इस पर रिपोर्ट देनी थी। समिति ने केंद्र के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से दिशा निर्देश मांगा। इस मामले में समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में खतरनाक कारखानों में कुछ प्रतिबंध के साथ महिलाओं को काम करने की छूट की बात कही गयी है।
मुख्य सचिव ने एक बैठक में यह कहा भी है कि उत्तर प्रदेश और वियतनाम देश में महिलाएं समान होने के दृष्टिगत वियतनाम में महिलाओं को नियोजन में कोई प्रतिबंध न होने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में भी महिलाओं के लिए प्रतिबंध नहीं रखे जाने हेतु सहमति व्यक्त की गयी थी। यह निर्देश दिये गये थे कि महिलाओं को पीपीई (विद्युतीय व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) एवं ओएसएच (व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य) के मानकों के तहत सुरक्षा देते हुए रोजगार पर लगाया जा सकता है।
यह भी जानकारी मिली है कि 29 जनवरी 2025 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई। यूपी कारखाना नियमावली 1950 के नियम 109 के तहत शेड्यूल 2,3,4,6,7,8, 10, 12, 13, 14, 20, 21 व 22 में कारखानों को छूट के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता समिति बनी थी। इस बाबत सात फरवरी की बैठक में उन्होंने केंद्र से गाइडलाइन मांगने की बात कही थी।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) कांफ्रेंस के मानक के अनुसार केंद्र से आख्या भेजी गयी। जिसके आधार पर उपरोक्त सभी 13 शेड्यूलों के संशोधन को प्रकाशित करने की बात कही गयी थी।। शेड्यूल 2, महिलाओं को टब (टैंक)पर, शेड्यूल 3, कच्चे ऑक्साइड पर, शेड्यूल 4, कांच के कारखाने में कांच उच्च तापमान पर, शेड्यूल 6 में पेट्रोलियम व गैस उत्पादन वाली बिल्डिंग में प्रवेश पर, तथा 7 में खतरनाक पेट्रोलियम उत्पाद कारखाने में, 8 में सैंड ब्लास्टिंग के काम में,10 में महिलाओं को लेड के काम में, 12 में हाइड्रोक्लोराइड एसिड और एचसीएल अमोनिया प्लांट व जस्ता वाली भट्टी पर 13, महिला और पुरुष खतरनाक कारखानों एक साथ काम पर रोक, 20 में विलयन प्रोजेक्शन में, 21, मैंगनीज में, 22 में कीटनाशक के कार्यों में महिलाओं को प्रत्यक्ष नहीं लगाया जा सकता है। इन खतरनाक कारखानों में संवेदनशील स्थलों से दूर कार्य पर महिलाओं को लगाने की बात पर सहमति बनी है।
'रोजगार की दृष्टि से खतरनाक कारखानों में महिलाओं को कम पर रखने में कोई हर्ज नहीं है। पर यह ध्यान देना हो होगा कि अत्याधिक जोखिम वाले स्थल में प्रत्यक्ष तैनाती से बचना चाहिए। सुरक्षा एवं संरक्षा का प्रशिक्षण एवं उपकरण की उपलब्धता भी सुनिश्चित होनी चाहिए। इस फैसले पर अमल से पहले कारखाना निदेशक एवं श्रमायुक्त संग ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों की बैठक होनी चाहिए।'- अनिल उपाध्याय महामंत्री भारतीय मजदूर संघ
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