Moradabad News : मुसलमान निकालते हैं होली की चौपाई, खेलते हैं रंग...सैकड़ों साल पुरानी परंपरा बरकरा

Amrit Vichar Network
Published By Bhawna
On

मुरादाबाद के मूंढापांडे क्षेत्र के वीरपुरवरियार उर्फ खरक गांव में होली पर मनाया जाता है जश्न, होली की तैयारियों में जुटा पूरा गांव

मुरादाबाद के वीरपुरवरियार गांव में होली पर लगने वाले मेले की तैयारियों में जुटे लोग।

रईस शेख,अमृत विचार। होली के रंग को लेकर संभल और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मचे राजनीतिक विवाद के बीच मुरादाबाद के मूंढापांडे ब्लॉक का वीरपुरवरियार उर्फ खरक गांव इन सबके लिए मिसाल हो सकता है। रंग को लेकर सांप्रदायिक विवादों से परे यहां के मुसलमान होली का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। होली पर गांव में मेला लगता है और मुसलमान चौपाई निकालकर रंग भी खेलते हैं। इनकी खुशियों में आस-पास के गैर मुस्लिम समाज के लोग शरीक होकर एकता की मिसाल को चार चांद लगाते हैं। सौहार्द की यह परंपरा सैकड़ों वर्ष है और इसे आज की पीढ़ी जिंदा रखे हुए हैं। पुरानी परंपरा को आज भी जिंदा रखे हुए हैं। 

जिला मुख्यालय से कमोबेश 30 किमी. दूरी पर बसे वीरपुर वरियारपुर गांव में मुसलमान वसंत पंचमी के दिन से ही यहां के मुसलमान होली की तैयारियों में जुट जाते हैं। होलिका दहन से सात आठ दिन पहले गांव का माहौल ही बदल जाता है। गांव में लगने वाला होली का मेला भी पांच छह दिन पहले शुरू हो जाता है। चैपाल हो या चैराहा जिक्र होता है तो गांव से निकलने वाली चौपाई का। चौपाई के मुकाबले में पहला स्थान पाने को सभी बड़ी शिद्दत से जुटते हैं। आज भी गांव में होली की चौपाई खेलने की सबसे ज्यादा फिक्र बुजर्गां को रहती है। वह इस परंपरा को कायम रखना चाहते हैं और युवा पीढ़ी को हिदायत भी करते हैं।

गांव में शुरू हो गई चौपाई निकालने की तैयारियां
पूर्व प्रधान एवं बुजुर्ग हाजी रशीद अहमद उर्फ भैया जी कहते हैं कि हमारे दादा अल्लाह बख्श भी गांव में होली खेलने का जिक्र किया करते थे। डॉ. मुबश्शिर हुसैन और डॉ. गामा हुसैन कहते हैं कि बुजुर्गों से सुना है कि गांव में होली मनाए जाने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। मुराद सकलैनी और हाजी रइस सकलैनी, हम्जा लाला कहते हैं कि मौजूदा वक्त में होली की तैयारियां चल रही हैं।

चौपाई की परंपरा को जारी रखे हैं ये बुजुर्ग, आस-पास के जिलों से भी आते हैं लोग
बुजुर्ग भूरे लाला, गुड्डू लाला, प्यारे लाला, बड्डे लाला, मुन्ना लाला, चंदा लाला व शौकत लाला गांव में चौपाई निकालने की परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं। बुजुर्ग कहते हैं कि गांव में निकलने वाली चौपाई को देखने के लिए रामपुर, बरेली, मुरादाबाद और पीलीभीत के लोग भी आते हैं। कई बुजुर्गों के इंतकाल के बावजूद चौपाई की रस्म कम नहीं हुई हैं। चौपाई में अब आधुनिकता की झलक भी दिखाई देती है।
 
पहनते हैं नए कपड़े और खोया-दूध के पकवानों से करते हैं स्वागत
गांव खरक में होली पर्व पर नए कपड़े पहनने का चलन भी अलग है। मुसलमान अमूमन ईद के मौके पर नए कपड़े पहनते हैं, लेकिन खरक में मर्द, औरतें और बच्चे होली पर नए कपड़े पहनते हैं। खोया, दूध के पकवान बनाकर मेहमानों की खातिरदारी करते हैं। हाजी रशीद भैया, डॉ. गामा और मुबश्शिर कहते है कि घर-घर में ये दस्तूर निभाया जाता है। महमानों की खातिरदारी गुजिया, खोया, दूध, दही और घी में शक्कर मिला कर की जाती है।

खरक की होली सांप्रदायिक एकता की मिसाल
वीरपुरवरियार उर्फ खरक का होली का त्योहार सांप्रदायिक एकता की मिसाल है। यहां की चौपाई और मेला देखने मुसलमान ही नहीं हिंदू भी आते हैं। परिवार के बच्चों समेत होली के मेले का पूरा आनंद लेते हैं। जगरंपुरा के पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, खकपुर बाजे की सहकारी समिति के सभापति नरेश प्रताप सिंह, भानु प्रकाश यादव, भूकन सैनी व रामवतार सैनी कहते हैं कि खरक की होली सांप्रदायिक एकता की मिसाल है।

ये भी पढे़ं : मुरादाबाद : किराया कम न करने पर व्यापारियों ने शुरू की अनिश्चितकालीन हड़ताल, नहीं मनाएंगे होली

संबंधित समाचार