बरेली : ऐतिहासिक रामबरात में महाकुंभ के जल से खेली गई होली
बड़ी बमनपुरी से राम बरात में गीतों पर थिरकते और रंगों से सराबोर होते आगे बढ़ते रहे हुरियारे
बरेली, अमृत विचार। शहर की ऐतिहासिक राम बरात में बृहस्पतिवार को हुरियारों ने जमकर रंग और गुलाल उड़ाया। हुरियारों की टोलियां ढोल नगाड़ों की धुन पर नाचते गाते निकलीं। टोलियां जिस रास्ते से गुजरीं, वहां जमकर रंगा खेला गया। हुरियारों के बीच जमकर मोर्चाबंदी हुई। हर कोई रंगों में सराबोर नजर आया। चौराहों पर शहरवासियों को महाकुंभ से लाये गए गंगाजल में रंग को घोलकर भिगोने की मोर्चाबंदी आकर्षण का केंद्र रही।
राम बरात का शुभारंभ बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न करीब 11 बजे बड़ी मनपुरी के नरसिंह मंदिर से मंत्रोच्चार और स्वरूपों की आरती उतारकर मंदिर समिति के प्रवक्ता विशाल महरोत्रा, अध्यक्ष राजू मिश्रा, महामंत्री दिनेश दददा, संरक्षक सुनील रस्तोगी, विवेक शर्मा ने आदि ने संयुक्त रूप से किया। बिहारीपुर से मलूकपुर चौकी होते हुए रामबारात कुतुबखाना पहुंची। यहां दूसरी ओर से चाहबाई की राम बारात कोतवाली के पास आकर मिल गई। हजारों की संख्या में हुरियारे रंगों की बौछार कर रहे थे। ट्रैक्टर-ट्रालियों पर उनकी टोलियां थीं। कुछ सामाजिक संगठनों ने स्वागत स्टॉल से फूलों की वर्षा की। पहली मोर्चाबंदी जिला पंचायत के पास बिहारीपुर ढाल के पास की हुई। हुरियारों ने एक दूसरे पर जवाबी फुहार बरसाई फिर आगे बढ़े। शिवाजी मार्ग पर वन मंत्री डा. अरुण कुमार, बरेली कॉलेज गेट पर डा. विनोद पागरानी ने यात्रा का स्वागत किया। राम बरात में हॉरर मास्क, मलिंगा हेयर स्टाइल में सने बहरूपियों ने जमकर मस्ती की। पानी की कमी न पड़े, इसलिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के साथ नगर निगम के टैंक जगह-जगह मौजूद रहे।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि रामबारात में महाकुंभ से लाये गए गंगाजल में रंग को घोला गया। कारण यह था कि जो लोग महाकुम्भ स्नान को नहीं पहुंच सके, उन पर भी महाकुंभ का पवित्र जल रंगों के साथ पड़ जाए। रामबरात में अखिलेश अग्रवाल, विवेक शर्मा, सत्येंद्र पांडेय, नीरज रस्तोगी, नवीन शर्मा, बॉबी रस्तोगी, दीपेन्द्र वर्मा, अमित वर्मा, लवलीन कपूर, कमल टण्डन, धीरज दीक्षित, एडवोकेट पंकज मिश्रा, गौरव सक्सेना, जीतू देवनानी, राजीव खुराना, अमित भारद्वाज, हरमीत सिंह,सचिन श्याम भारतीय, कौशिक टण्डन, जनार्दन आचार्य, अंशु सक्सेना आदि शामिल रहे।

इन स्थानों पर हुरियारों की रही मोर्चाबंदी
हुरियारों को मोर्चाबंदी बिहारीपुर ढाल, इस्लामिया ग्राउंड, नावल्टी, कालीबाड़ी बांस मंडी, मठ को चौकी के बाद आलमगिरीगंज पहुंचने पर अंतिम मोर्चाबंदी हुई। बड़ी बमनपुरी से राम बरात शुरू होकर दरगाह आला हजरत मोड़, बिहारीपुर ढाल, नावल्टी चौराहा, रोडवेज, कालीबाड़ी, श्यामगंज, साहू गोपीनाथ, बड़ा बाजार, साहूकारा, किला होते हुए देर रात मंदिर पर समाप्त हुई।
झांकियों ने मोह लिया मन, हुई पुष्पवर्षा
राम बरात के मुख्य रथ पर श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के स्वरूप के अलावा मां सरस्वती, विष्णु भगवान, भोलेनाथ समेत अन्य देव स्वरूपों की झांकियां भी शामिल रहीं। बिहारीपुर ढाल, इस्लामिया ग्राउंड तिराहा, कालीबाड़ी, आलमगिरीगंज में विभिन्न समितियों ने पुष्पवर्षा कर हुरियारों का स्वागत किया गया। हुरियारों के दायरे में आने वाले लोग रंगों से सराबोर होकर ही निकले।

रामलीला का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
रामलीला की शुरुआत 165 साल पहले हुई थी, उसी समय से बड़ी बमनपुरी क्षेत्र में यह परंपरा स्थापित हुई। यहां की रामलीला होली पर होती है, जो इस आयोजन को एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। आयोजन के दौरान भगवान राम की कथा का मंचन होता है, जिसमें राम, सीता, लक्ष्मण, रावण, हनुमान और अन्य प्रमुख पात्रों के साथ उनकी यात्रा, संघर्ष, और विजय का चित्रण किया जाता है। आयोजन का सांस्कृतिक महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि इसमें स्थानीय कलाकारों और समाज के विभिन्न वर्गों का योगदान होता है। परंपरागत रूप से रामलीला का मंचन नाट्य रूप में होता है, जिसमें भगवान राम के वनवास, रावण वध और अयोध्या लौटने के दृश्य प्रमुख होते हैं। यह आयोजन ऐतिहासिक विरासत है, जो आज भी सजीव रूप में निभाई जा रही है।
शोभायात्रा के स्वागत में मशीनों से उड़ाया गुलाल
शहर में निकाली गई रामबरात का जगह-जगह स्वागत किया गया। कहीं फूल बरसे तो कहीं गुलाल और रंगों की फुहार शोभायात्रा में शामिल हुरियारी पर बरसती रही। इस दौरान मशीनों से गुलाल उड़ाया गया और मशीनों से ही पुष्पवर्षा की गई। कालीबाड़ी पर युवा लोधी सभा की ओर से रामबरात व नरसिंह भगवान शोभायात्रा का स्वागत किया गया। यहां बने स्वागत मंच पर समाज में एकता, सद्भावना और शांति का काम करने वालों को सम्मानित भी किया गया।
