म्यांमार साइबर गिरोह का एक और आरोपी गिरफ्तार, सुनाई पूरी प्लानिंग

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Published By Muskan Dixit
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दो पासपोर्ट, 22 चेकबुक, चार मोबाइल और तीन एटीएम बरामद

लखनऊ, अमृत विचार: म्यांमार साइबर गिरोह के एक और आरोपी को मदेयगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तीसरे आरोपी के पास से पुलिस ने दो पासपोर्ट, चार मोबाइल फोन, तीन एटीएम कार्ड, 22 चेकबुक, पासबुक और एक सिमकार्ड बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक गिरोह डाटा इंट्री ऑपरेटर की नौकरी का झांसा देकर गिरोह के सदस्य बेरोजगारों को बैंकॉक भेजते थे। वहीं से म्यांमार ले जाकर बंधक बना लिया जाता। फिर साइबर ठगी कराई जाती।

म्यांमार से लौटे मदेयगंज मशालची टोला निवासी सुल्तान सलाहुद्दीन ने 12 मार्च को जावेद इकबाल, मो. अहमद खान उर्फ भय्या, और जीशान खान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराया था। पीड़ित के मुताबिक आरोपियों ने विदेश भेजने के नाम पर उनसे रुपये लिए थे। इस मामले में 15 मार्च को मदेयगंज पुलिस ने मो. अहमद खान और जावेद इकबाल को गिरफ्तार किया था। इंस्पेक्टर मदेयगंज राजेश सिंह के मुताबिक इस मामले में तीसरे आरोपी जीशन खान को मंगलवार को साइबर क्राइम सेल व पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया । जीशान चौक के मंसूरनगर का रहने वाला है। वह म्यांमार के म्यावाड्डी में भारतीयों को बंधक बनाकर ठगी का काम कराते हैं।

आरोपी जीशान ने पूछताछ में बताया कि म्यांमार में मौजूद रफ्फाक के कहने पर वह लोग सीधे-साधे युवकों को बैंकॉक में डाटा एंट्री के नाम पर नौकरी दिलवाने का लालच देकर लोगों को बैंकॉक भेज देते है। वहां से रफ्फाक राही के लोग युवक को अनाधिकृत रूप से म्यांमार ले जाते थे और पासपोर्ट छीनकर, उनको बंधक बनाकर साइबर ठगी का काम करवाते है। विदेश भेजा गया जो युवक उक्त काम नहीं करना चाहता था रफ्फाक उससे तीन लाख रुपये लेकर वापस भेज देता था। जीशन ने बताया कि रफ्फाक से उन लोगों को प्रति युवक 500 डालर मिलता था। पकड़े गए आरोपी जीशान ने बताया कि गैंग के गुर्गे अलग-अलग शहरों से लोगों को रुपये देकर उनका खाता खरीद लेते थे। इसके बाद ठगी की रकम उसी खाते में मंगवाई जाती थी। एटीएम के माध्यम से गुर्गे कमीशन काटकर रुपये कुछ खातों में ट्रांसफर कर देते थे। आरोपी मो. अहमद खान उक्त खातों से रुपये निकाल कर डिजीटल वॉलेट के माध्यम से रकम को विदेश में मौजूद साथियो को ट्रांसफर कर देता था।

यूएसडीटी से विदेशी साथियों को देते थे हिस्सा

जीशान ने पूछताछ में बताया कि अपने साथियों संग मिलकर ठगी की रकम अपने और परिचितों के खाते में मंगाता था। साहयोगियों को हिस्सा देने के बाद कुछ सुरक्षित खातों में बची रकम जमा कराता था। ताकि उनको फ्रीज होने से बचाया जा सके। इसके बाद एटीएम से निकालकर दूसरे शहरों में खोले गये खातों में जमा कराता। फिर मो. अहमद खान द्वारा इस रकम को एटीएम से निकालकर अपने डिजीटल वॉलेट (नेटवर्क एथर्म(ईआरसी20), नेटवर्क ट्रोन(टीआरसी20))में ऑन लाइन व नकदी यूएसडीटी खरीद लेता था। इस यूएसडीटी को अपने विदेश साथियों को हिस्से के रुप में भेजने के लिए कई डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर करता था।

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