Bareilly: कमीशन का खेल...स्कूलों में एनसीईआरटी की जगह थोपी जा रहीं निजी प्रकाशन की किताबें 

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार: नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है। सरकार स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें चलाने पर जोर दे रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस बात पर जोर दिया गया है, लेकिन निजी प्रकाशकों को लाभ पहुंचाने और खुद के कमीशन के चक्कर में निजी स्कूल एनसीईआरटी की किताबों से दूरी बनाए हैं। जिले के कुछ नामचीन स्कूलों ने कोर्स में दिखावे के लिए चंद एनसीईआरटी की किताबें शामिल कर ली हैं, ताकि आरोपों से बचा सके।

कोतवाली के पास पुस्तक भंडारों पर नए शैक्षिक सत्र का कोर्स खरीदने पहुंचे अभिभावकों ने बताया कि इस बार रेट बेतहाशा बढ़ा दिए हैं। इसका सीधा असर जेब पर पड़ रहा है। एनसीईआरटी की किताब बेचने वाले एक विक्रेता ने बताया कि नर्सरी से लेकर पांचवीं तक की पांच से छह किताबें होती हैं। प्रत्येक किताब 65 से 70 रुपये में आती है। पूरा कोर्स करीब 600 से 700 रुपये में तैयार हो जाता है, लेकिन निजी प्रकाशकों का यही कोर्स अलग-अलग स्कूलों में 2500 से 4500 रुपये में मिल रहा है।

एनसीईआरटी का पांचवीं से आठवीं तक का कोर्स करीब 800 से 900 रुपये, जबकि निजी प्रकाशक का छह से नौ हजार, कक्षा नौ से 12 तक का कोर्स 1150 रुपये और निजी प्रकाशक का पांच से 10 हजार रुपये से भी अधिक का कोर्स मिल रहा है। कुछ निजी स्कूलों ने कोर्स के अलावा भी कुछ खास प्रकाशकों की किताबों को शामिल किया है। ये किताबें भी स्कूल संचालकों की निर्धारित दुकानदारों के यहां मिल रही हैं।

एनसीईआरटी पर छूट, निजी पर कुछ नहीं
एनसीईआरटी की किताब बिक्री करने वाले एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एनसीईआरटी की एक किताब मात्र 30 से 50 रुपये में उपलब्ध है, वहीं निजी प्रकाशकों की 300 से 450 रुपये में बेची जा रही है। एनसीईआरटी की किताबों पर एमआरपी के बाद भी 10 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है, वहीं निजी प्रकाशन की किताबें एमआरपी दर पर बेचने के साथ उसके ऊपर से 20 से 30 रुपये अलग से लेमिनेशन कवर के वसूले जा रहे हैं।

पिछले साल सीबीएसई ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें स्पष्ट है सीबीएसई से संबंधित सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही चलाई जाएं। यदि कोई दूसरी पुस्तक स्कूलों में पढ़ाई के लिए उपलब्ध करवाई जाए तो स्कूल को अपनी वेबसाइट पर एक लिखित डिक्लेरेशन डालना होगा कि पुस्तक में यदि कुछ भी गलत हुआ तो वह खुद जिम्मेदार होंगे- वीके मिश्रा, नगर समन्वयक, सीबीएसई।

हर साल अभिभावक लुटते हैं। शिक्षा विभाग ने किसी भी स्कूल संचालक या पुस्तक विक्रेता को एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य करने के लिए पत्र तक नहीं लिखा है। अधिकारियों का तर्क हर बार यही रहता है कि अभी किसी अभिभावक की शिकायत नहीं मिली है- अंकुर किशोर सक्सेना, अध्यक्ष, अभिभावक संघ।

जो कोर्स थमाया जा रहा है। उसमें स्कूल प्रबंधन की ओर से निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। सिर्फ कमाई करने के लिए स्कूल संचालकों की ओर से इस तरह लूटा जा रहा है। सरकार को निजी स्कूलों पर नियंत्रण करने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि इनकी मनमानी से राहत मिल सके- नेमिश सिंह, अभिभावक।

नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है। एनसीईआरटी की किताबों को ही निजी स्कूलों को अपने कोर्स में शामिल करना है। शासन के आदेशों का उल्लंघन करने वालों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिकायत आने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी- डा. अजीत कुमार सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक।

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