Kanpur: डीएम-एसपी से वार्ता के बाद तीनों शवों का हुआ अंतिम संस्कार, कई जिलों का फोर्स तैनात, पूरा गांव छावनी में तब्दील

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह, उनके भाई अनूप सिंह उर्फ पिंकू सिंह और पुत्र अभय प्रताप सिंह के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी। डीएम रवींद्र सिंह, एसपी धवल जायसवाल की मौजूदगी में समापुर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में भाकियू नेताओं सहित क्षेत्रीय लोगों की भारी भीड़ रही। अनूप सिंह के बेटे सूर्य ने मुखाग्नि दी। इस दौरान पप्पू सिंह अमर रहे के नारे गूंजते रहे। प्रयागराज जोन के पुलिस महानिरीक्षक प्रेम गौतम हथगाम थाने में मौजूद रहे और पल-पल की जानकारी लेते रहे।

भाकियू के प्रदेश प्रभारी अनुज सिंह ने पप्पू सिंह की मां ग्राम प्रधान रामदुलारी सिंह से अधिकारियों की बात कराई। इसके बाद परिजन अंतिम संस्कार को तैयार हुए। परिजनों को तैयार करने में पुलिस प्रशासन को घंटों प्रयास करना पड़ा। इस बीच पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी हुई। भारतीय किसान यूनियन के जिला स्तरीय के साथ गैरजिलों से आए पदाधिकारियों ने अंतिम विदाई दी। दो लोगों को शस्त्र के लाइसेंस, बच्चों की शिक्षा के लिए सहायता, पूरी सुरक्षा व्यवस्था के अलावा अभियुक्तों के विरुद्ध एनएसए, गैंगस्टर लगाने और हत्यारों को कड़ी सजा दिलाने के आश्वासन के बाद परिजन दाह संस्कार के लिए तैयार हुए। सभी अफसर तब तक मौके पर ही मौजूद रहे, जब तक अंतिम संस्कार नहीं हो गया और परिजन घर नहीं लौट आए। 

कई जिलों का फोर्स तैनात, पूरा गांव छावनी में तब्दील

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद रात में ही तीनों शवों का पोस्टमार्टम हुआ। तड़के लगभग साढ़े तीन बजे तीनों शव गांव पहुंचे। गांव में पहले से ही भारी पुलिस पर मौजूद था। पड़ोती कौशांबी, हमीरपुर जनपद सहित जिले के सभी थानों का फोर्स बुलाया गया था। भारी संख्या में पीएसी बल मौजूद था। 

जिलाधिकारी रवीन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक धवल जायसवाल, अपर जिलाधिकारी डॉ.अविनाश त्रिपाठी, अपर पुलिस अधीक्षक विजय शंकर मिश्र, एसडीएम अभिनीत कुमार, सीओ, एलआईयू इंस्पेक्टर सत्यबाला सिंह, नायब तहसीलदार विजय प्रकाश तिवारी आदि मौके पर डटे रहे। भाकियू कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की। परिजनों का कहना था कि जब तक अभियुक्तों का एनकाउंटर नहीं होगा और उनके घरों में बुलडोजर नहीं चलेगा, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। परिजन शवों को लखनऊ ले जाने की जिद करने लगे तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।

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