प्रयागराज : दहेज मामले पर संज्ञान लेने में 10 साल की देरी करने पर पुलिस और मजिस्ट्रेट को HC ने लगाई फटकार

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Published By Vishal Singh
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में आरोप पत्र दाखिल करने में लगभग सात वर्षों की अत्यधिक देरी तथा संज्ञान लेने में अतिरिक्त तीन वर्षों की देरी पर पुलिस और निचली अदालत द्वारा बरती गई लापरवाही पर फटकार लगाते हुए कहा कि यह तथ्य पुलिस के साथ-साथ संबंधित अदालत की घोर लापरवाही दर्शाता है।

दरअसल 16 दिसंबर, 2014 को आईपीसी की विभिन्न धाराओं और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत थरवई पुलिस स्टेशन, प्रयागराज में  एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आरोप पत्र 24 जून 2021 को यानी लगभग सात साल की देरी के बाद दाखिल किया गया। देरी को और बढ़ाते हुए मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र दाखिल होने के लगभग तीन वर्ष बाद 12 मार्च 2024 को मामले पर संज्ञान लिया। 

अतः न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने कृष्ण कुमार और छः अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए डीसीपी, गंगापार, प्रयागराज को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें कारण का उल्लेख किया जाए कि पुलिस को आरोप पत्र प्रस्तुत करने में लगभग सात साल क्यों लगे, जबकि एफआईआर 16 दिसंबर 2014 को दर्ज की गई थी।

इसके साथ ही जिला न्यायाधीश, इलाहाबाद से आरोप पत्र पर संज्ञान लेने में तीन वर्ष की देरी के संबंध में भी स्पष्टीकरण मांगने और रजिस्ट्रार (अनुपालन) को इलेक्ट्रॉनिक रूप से इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई आगामी 21 अप्रैल 2025 को सूचीबद्ध की गई है। रजिस्ट्रार (अनुपालन) को इस आदेश की प्रतियां तत्काल अनुपालन के लिए डीसीपी और जिला न्यायाधीश को भेजने का निर्देश दिया गया।

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