बरेली: मदरसों पर कार्रवाई को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने की निंदा, बताया संविधान विरोधी कदम

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में मदरसों के खिलाफ हो रही सरकारी कार्रवाई को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कड़ी निंदा की। उन्होंने इन कदमों को संविधान के विरुद्ध करार दिया और कहा कि यह न सिर्फ अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि भारत की साझा विरासत पर भी सवाल खड़ा करता है।

मौलाना रजवी ने कहा कि यह वही मदरसे हैं, जिन्होंने 1857 से लेकर 1947 तक आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। अब उन्हीं संस्थाओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो देश के निर्माण में सहायक रही हैं।

आगे उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सांप्रदायिक ताकतें मदरसों को बदनाम करने की साजिश में लगी हैं और सरकारें उनके दबाव में काम कर रही हैं। रजवी ने विशेष रूप से मध्यप्रदेश में मदरसे पर बुलडोजर चलाए जाने और उत्तराखंड सरकार द्वारा मदरसों को बंद करने के निर्णय को अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया।

उन्होंने कहा कि संविधान अल्पसंख्यकों को अपनी शैक्षणिक संस्थाएं खोलने, संचालित करने और शिक्षा प्रदान करने का पूरा अधिकार देता है। अगर राज्य सरकारें इस प्रकार की कार्रवाई करती रहीं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे पर विश्वास करना मुश्किल हो जाएगा। मौलाना रजवी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह हस्तक्षेप कर इस प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे।

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