महिला सशक्तिकरण: ब्यूटी पार्लर छोड़ ''दालमोठ'' चुनी तो कामयाबी ने चूमे काजल के कदम, अब कई लोगों को दे रहीं रोजगार
अमित पांडेय/ लखनऊ, अमृत विचार। इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुकाम हासिल करना मुश्किल नहीं है। अगर हौंसला है तो हर रास्ता आसान हो जाता है। कठिन से कठिन कार्य को सरलता से किया जा सकता है। बंद हो चुके व्यवसाय को बुलंदियों पर पहुंचाकर शहर की एक महिला ने यह साबित कर दिखाया। उन्होंने यह भी साबित किया है कि अगर महिला अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले तो कोई मंजिल दूर नहीं है।
पति के व्यवसाय को किया समृद्ध दिए रोजगार
महिला का नाम है काजल तलरेजा, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल पेश की। उन्होंने पति के बंद हुए व्यवसाय को अपनी कठिन मेहनत से सींचते हुए फिर से जीवंत कर दिया। राजधानी के आलमबाग स्थित नटखेड़ा रोड पर काजल तलरेजा की दालमोठ की दुकान है, जिसको उनके पति ने शुरु किया था। आर्थिक हालात और समय की मार से व्यवसाय बंद होने की कगार पर आ गया। पांच वर्ष पहले काजल तलरेजा ने अपने पति का व्यवसाय खुद संभाला और आज व्यवसाय इतना बढ़ गया है कि वे बहुत लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
ब्यूटी पार्लर से आगे बढ़ नमकीन का ऐसा जायका परोसा लोग जुड़ते गए
काजल तलरेजा ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व उन्होंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था। उसके बाद उन्होंने बुटीक और ब्यूटी पार्लर खोला वह ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन पति का दालमोठ का व्यवसाय दिन पर दिन गिरने लगा और पति डिप्रेशन में आ गये। तब काजल तलरेजा ने अपना व्यवसाय छोड़कर पति का कारोबार संभाला और लोगों को नमकीन का ऐसा स्वाद चखाया कि दालमोठ का कारखाना दौड़ पड़ा।
कई कठिनाईयों का करना पड़ा सामना पर काजल की ''समझ'' ने राह की आसान
काजल तलरेजा ने बताया कि शुरु में उनको व्यापार करने में बहुत परेशानी हुई। बाजार में भाव और बिक्री को लेकर बहुत प्रतिस्पर्धा थी। हमने दालमोठ की गुणवत्ता के साथ ही बाजार भाव से मूल्य भी कम रखा जिसकी वजह से व्यापार में तेजी आयी। धीरे-धीरे छोटे दुकानदारों का आना शुरु हुआ और आज गुणवत्ता के कारण लोगो की भीड़ लगी रहती है।
शहर से लेकर गांव तक है सप्लाई
उन्होंने बताया कि आज की तारीख में उनकी दालमोठ शहर और जिले से लगे गांवों में जाती है। उन्होंने इसके लिए लड़के रख रखे हैं। जो प्रतिदिन गांव में और शहर में लगे चाय के ठेलों पर सप्लाई करते हैं। दुकानवालों को उचित दाम में बेहतर सामान मिलता है, इसलिए मांग भी ज्यादा रहती है। इस काम में उनके साथ कई महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो पहले घर में खाली बैठी रहती थीं, आज उनके पास अपना काम है।
150 रुपये से 300 रुपये किलो तक है दालमोठ, व्रत वाली दालमोठ भी पसंदीदा
वह बताती हैं कि वह खुद दालमोठ बनवाती हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ ही सस्ती भी है। जिसकी वजह से दूर-दूर से लोग आकर खरीदते है। दालमोठ 150 रुपये प्रति किलो से लेकर 300 रुपये तक है। व्रत वाली दालमोठ भी यहां मिलती है, जो कि फलाहार में खायी जाती है।
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