पीलीभीत: बेहतर स्वास्थ्य का सपना, बेबसी की हकीकत...इलाज के लिए तरसते लोग, व्यवस्था खामोश

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
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पीलीभीत, अमृत विचार: जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का कागजों में मजबूत ढांचा हकीकत में जर्जर है। 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), 26 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 161 आरोग्य मंदिर होने के बावजूद मरीजों की पीड़ा कम नहीं हो रही।

बीमारियां बढ़ रही हैं, लेकिन इलाज की उम्मीद धुंधली होती जा रही है। गांव-देहात में बनी सीएचसी, पीएचसी और आरोग्य मंदिरों में भी मरीजों को इलाज के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अमृत विचार की टीम ने बुधवार को पड़ताल की तो व्यवस्था के दावे धुंधले से नजर आए।

मेडिकल कॉलेज का हाल पर्चा, परामर्श के लिए इंतजार, दवा के लिए मेडिकल स्टोर की दौड़
मेडिकल कॉलेज में दवा लेने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को सुबह आठ बजे आने के बाद भी घंटों जूझना पड़ रहा है। नंबर आने के बाद जब वह डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तो बाहर से दवाएं लिख दी जाती हैं। मजबूरन मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है।

जिम्मेदारों का कहना है कि अभी तक 278 दवाओं का पैटर्न चल रहा था। लेकिन मेडिकल कॉलेज आने के बाद 845 दवाओं का पैटर्न है। जिसकी डिमांड भेज दी गई है, जल्द व्यवस्था और बेहतर होगी।

आरोग्य मंदिर नगरिया कॉलोनी भी बदहाल
आयुष्मान आरोग्य मंदिर नगरिया कॉलोनी उपकेंद्र की पड़ताल की गई तो कागजों में डॉक्टर समेत अन्य स्टाफ कार्यरत बताया गया। मगर बुधवार सुबह 11 बजे तक कोई भी स्टाफ उपस्थित नहीं था। मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे। एक मरीज अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर लेकर पहुंचा। मगर वहां कोई स्टाफ नहीं था। ऐसे में पति बेड पर लिटाकर डॉक्टर का इंतजार करता रहा।

इसके अलावा एक मरीज खुजली की दवा लेने के लिए पहुंचा तो उसे भी दवा नहीं मिल सकी। ग्रामीणों से जानकारी पर पता चला कि यहां अधिकांश डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं। हमेशा मुख्यालय या सीएचसी पर ही इलाज करने के लिए जाते हैं।

आरोग्य मंदिर माधोपुर: सीएचओ मिले मौजूद, बाकी गायब
अमरिया तहसील क्षेत्र के आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर माधोपुर में बना है। सीएचओ के साथ फार्मासिस्ट समेत तीन लोगों का स्टाफ है। बुधवार दोपहर 12:30 बजे जब पड़ताल की तो वहां सीएचओ विपिन त्यागी उपस्थित मिले। जोकि एक मरीज का उपचार कर रहे थे।

परिसर में कोई अन्य स्वास्थ्य कर्मी नहीं था। सीएचओ से जानकारी की गई तो वह भी स्थिति स्पष्ट नहीं कर सके। मरीजों को सुविधा के नाम पर सिर्फ खांसी,बुखार और जुकाम तक की दवाएं ही उपलब्ध मिली। जांच के नाम पर न तो कोई मशीन नहीं दिखाई दी।

गुलड़िया भिंडारा : नहीं आते डॉक्टर, फार्मासिस्ट के हवाले जिम्मेदारी
मझोला कस्बे के गुलड़िया भिंडारा में बने आयुष्मान आरोग्य मंदिर में कहने को डॉक्टर और स्टाफ कार्यरत है। जिन डॉक्टर को यहां तैनात किया गया है।वह अमरिया सीएचसी से आते है। उनको यहां अटैच किया है।आरोप है कि डॉक्टर अधिकांश दिन तक नहीं आते ।

सिर्फ फार्मासिस्ट ही मरीजों का इलाज कर रह है। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर यहां कब आते है या नहीं। कुछ नहीं पाता है। समस्या होने पर न्यूरिया सीएचसी या मुख्यालय पर जाना पड़ता है।

क्या कहते हैं मरीज
मेडिकल कॉलेज में दिखाने के लिए आए थे। करीब चार घंटे के बाद डॉक्टर का परामर्श मिल सका। कुछ दवाएं बाहर से भी लिखी गई है। इससे पहले भी आए थे। तो भी बाहर से दवा लेना पड़ी- टिकोली देवी

मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ही कमरे में तीन-तीन डॉक्टर बैठे हुए हैं। दवा काउंटर पर भी सुधार करने की जरुरत है। दवा लेने में ही पूरा समय निकल गया- राहुल कुमार

शरीर में काफी दिनों से खुजली की समस्या बनी हुई है। दवा लेने के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर आए थे। दो घंटे से इंतजार करते रहे लेकिन कोई स्टाफ नजर नहीं आया। बिना दवा के ही वापस लौटना पड़ रहा है- राजकुमार

पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर उसे लेकर आए थे। सुबह एक कर्मचारी मिला था। वह कौन था नहीं पता। सिर्फ उसने बेड पर लिटाने के बाद भर्ती करने की बात कहकर चला गया। काफी देर तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया- दीपक कुमार

क्या कहते हैं जिम्मेदार
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद ओपीडी तेजी से बढ़ रही है। जटिल बीमारियों का इलाज व जांचों की सुविधा शुरु कर दी गई है। दवाओं को लेकर डिमांड भेजी गई है। समस्त डॉक्टरों को उपलब्धता के अनुसार दवा लिखने के लिए कहा गया है- डा. रमाकांत सागर, सीएमएस जिला पुरुष अस्पताल

लंबे अरसे से डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। जो डॉक्टर ट्रांसफर हो गए हैं। उनके जाने के बाद दिक्कत और बढ़ गई है। सीएचसी को 24 घंटे चलाया जा रहा है। जबकि पीएचसी स्तर पर रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी लगाकर काम लिया जा रहा है। जल्द डॉक्टरों के आने की उम्मीद है- डा. आलोक कुमार, सीएमओ

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