लखनऊ: पुराने शहर की 90 फीसदी ट्रिपिंग तार बंधी पतंगों से
लखनऊ। पुराने शहर यानि की अमीनाबाद, चौक, ठाकुरगंज, अपट्रान, हुसैनगंज, ऐशबाग सहित कई और खंडों की 90 फीसद से ज्यादा बिजली सप्लाई आकाश में उड़ती हुई पतंगों से बंद होती है। इन सभी खंडों में अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का विभाग द्वारा ट्रिप हुई सप्लाई का आंकलन किया गया तो अक्टूबर में करीब 90 …
लखनऊ। पुराने शहर यानि की अमीनाबाद, चौक, ठाकुरगंज, अपट्रान, हुसैनगंज, ऐशबाग सहित कई और खंडों की 90 फीसद से ज्यादा बिजली सप्लाई आकाश में उड़ती हुई पतंगों से बंद होती है। इन सभी खंडों में अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का विभाग द्वारा ट्रिप हुई सप्लाई का आंकलन किया गया तो अक्टूबर में करीब 90 फीसद और नवंबर में 95 फीसद बिजली सप्लाई ठप हुई।
नवंबर में दीपावली और उसके बाद से लोगों द्वारा आकाश में पतंगों का उड़ाना तेज कर दिया जाता है। दीपावली के एक दिन बाद जमघट तो पतंगों का ही त्योहार माना जाता है। इस दिन तो शहर के हर एक कोने में लोग पतंगों को उड़ाते हुए देखे जाते हैं। वहीं विभाग की ओर से जारी एक और आंकड़े में बताया गया कि पुराने शहर के अधिकतम इलाकों की बिजली सप्लाई 10 नवंबर से 25 नवंबर के बीच 100 फीसद सिर्फ तार बंधी पतंगों की वजह से ट्रिप हुई।
बता दें कि तार बंधी पतंगें विभाग के लिए मुसीबत बन चुके हैं। ये पतंगे तारों पर गिरने से सप्लाई ठप हो जाती है। आए दिन तार बंधी पतंगें विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सप्लाई व्यवस्था दुरुस्त करने में चुनौती बनती हैं। जिसकी वजह से विभागीय कर्मचारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक कोर्ट की ओर से तार बंधी पतंगों पर रोक लगाई जा चुकी गई है। इसके बाद भी ऐशबाग, पानदरीबा, हुसैनगंज, मवैया, राजाजीपुरम, चारबाग, चौपटिया, ठाकुरगंज, अमीनाबाद, लाटूस रोड, लालकुआं, अपट्रान, मोतीझील, चौक, मेडिकल कॉलेज, सिटी स्टेशन, रेजीडेंसी सहित कई और जगहों पर तार बंधी पतंगे उड़ाई जाती हैं। जिसकी वजह से आए दिन बिजली ट्रिप होती है।
लाइने ओवरहेड, इसलिए गुल होती है बिजली
पुराने शहर की अभी भी करीब 50 फीसदी लाइनें ओरवहेडेड हैं। जिसकी वजह से पतंगे तारों पर आकर गिरती हैं और जोरदार धमाका होने के बाद घंटों के लिए बिजली गुल हो जाती हैं। बता दें कि बसपा से लेकर सपा सरकार तक में इन खंडों के बहुत से क्षेत्रों की लाइनों को भूमिगत किया गया, लेकिन अभी भी कई जगहों पर लाइनों को अंडरग्राउंड किया जाना बाकी है। जो कि बजट के अभाव में रूक गया है।
विभागीय जानकारों के मुताबिक बसपा सरकार में 2010 में शक्ति सिंह के मुख्य अभियंता रहने के दौरान मुंबई की ही तर्ज पर लाइनों को अंडरग्राउंड करने का काम शुरू किया गया, जो कि अखिलेश सरकार यानि की 2017 तक चलता रहा। 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी कुछ क्षेत्रों में लाइनों को भूमिगत किया गया, इसके बाद भी अभी बहुत जगहों पर लाइनों को अंडर ग्राउंड किया जाना बाकी है।
पांच गुना महंगा पड़ती हैं भूमिगत लाइनें
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक 2010 के बाद से जिस तरह से शहर की लाइनों को भूमिगत किए जाने का काम शुरू किया गया था, उस हिसाब से तीन से चार सालों में पूरी हो जानी चाहिए थी। लेकिन ओवरहेडेड लाइनों की अपेक्षा भूमिगत लाइनें करीब पांच गुनी पड़ती हैं।
बिछा दिया गया है जाल नहीं तो और गुल होती बिजली
2014-15 के तत्कालीन मुख्य अभियंता एसके वर्मा के कार्यकाल में तार बंधी पतंगों से सबस्टेशनों के पॉवर ट्रांसफॉर्मरों को बचाने के लिए जाल बिछाना शुरू किया गया। उनके कार्यकाल में ही पुराने शहर के करीब 70 फीसदी बिजली घरों के पॉवर ट्रांसफॉर्मरों पर जाल को बिछाने के काम को पूरा कर दिया गया। जिसकी वजह से आज सप्लाई व्यवस्था को दुरुस्त करने में आसानी होती है। जाल नहीं बिछे होने की स्थिति में तो कभी—कभी पॉवर ट्रांसफॉर्मर से ही हजारों लोगों की बिजली सप्लाई ठप हो जाती थी।
