पहली सैलरी लड़कियों के लिए आजादी, तो लड़कों के लिए जिम्मेदारी , My first salary की सर्वे रिर्पोट जारी

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार। पहली नौकरी और पहली सैलरी किसी को नहीं भूलती हर किसी के जीवन का यह खास पल होता है। 44 प्रतिशत से अधिक युवा ऐसे हैं जो कि पहली सैलरी मिलते ही सबसे पहले इसकी सूचना अपनी मां को देते हैं। ऐसे युवा अपनी जिम्मेदारी महसूस करते हैं और बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जो दान, मंदिर, पूजापाठ में सैलरी का बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। म्यूचुअल फंड या भविष्य के लिए निवेश में लगाने में भी युवक रुचि लेते हैं। लेकिन इसके उलट लड़कियों की पहली सैलरी उनकी आजादी की घोषणा होती है। 88 प्रतिशत से अधिक महिलाएं ऐसी है जो पहली सैलरी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक मानती हैं। यह खुलासा भारत लैब के व्यापक सर्वेक्षण में सामने आया है।

भारत लैब देश का पहला सांस्कृतिक और व्यवहारिक थिंक टैंक है, जो देश के टियर 2 और टियर 3 क्षेत्रों की सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक वास्तविकताओं को समझने के लिए समर्पित है। यह प्रो. आलोक कुमार राय (कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय) और डॉ. संदीप गोयल (चेयरमैन, रेडिफ्यूजन) के नेतृत्व में प्रबंधन के विशेषज्ञों द्वारा संचालित होता है। भारत लैब ने पहली सैलरी पर अध्ययन जारी किया है जिसमें चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं।

युवाओं के लिए सिर्फ आर्थिक नहीं, भावनात्मक उपलब्धि

माय फर्स्ट सैलरी शीर्षक वाली एक नई रिपोर्ट का विमोचन लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, रेडिफ्यूजन के चेयरमैन संजीव गोयल, प्रो. पीके सिंह ने किया। यह रिपोर्ट भारत लैब द्वारा तैयार की गई है, जो लखनऊ विश्वविद्यालय और रेडिफ्यूजन का एक संयुक्त सांस्कृतिक, व्यावहारिक थिंक टैंक है। टियर 3 कस्बों के युवाओं पर आधारित इस सर्वेक्षण से साबित हो गया है कि युवाओं के लिए पहली सैलरी केवल आर्थिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक मुद्दा है।

सर्वेक्षण की खास बातें

-38.8 प्रतिशत युवाओं के लिए पहली सैलरी परिवार को उपहार देने के लिए होती है।

-24.5 प्रतिशत युवा पहली सैलरी से बचत शुरु करते हैं।

-20.4 प्रतिशत दान करने, मंदिर में प्रसाद चढ़ाने में व्यय करते हैं।

-88.5 प्रतिशत महिलाओं के लिए पहली सैलरी उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की घोषणा।

-44.6 प्रतिशत युवाओं ने पहली सैलरी की सबसे पहले सूचना मां को दी।

-76 प्रतिशत युवा म्यूचुअल फंड में जब संभव हो तब के आधार पर काम करते हैं।

तीन खास निष्कर्ष

-फिनटेक कंपनियों को सरल और लक्ष्य-आधारित निवेश विकल्प शुरू करने चाहिए।

-नीति-निर्माताओं को छोटे शहरों में न्यूनतम वेतन ढांचे पर पुनर्विचार करना चाहिए।

-मार्केटिंग रणनीतियों में पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों को शामिल करना चाहिए।

-महिला छात्रों के लिए वित्तीय साक्षरता को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।

युवा बचत करना चाहते हैं, लेकिन बंधन में नहीं रहना चाहते। यह व्यक्तिगत वित्तीय योजना है, न कि सिर्फ गणना। युवा अब लचीले आर्थिक निवेश को पसंद कर रहे हैं।-संजीव गोयल, चेयरमैन, रेडिफ्यूजन

हमारा मानना है कि शोध को राष्ट्र की धड़कनों को प्रतिबिंबित करना चाहिए। भारत लैब इस सोच का सजीव उदाहरण है। यह रिपोर्ट केवल अर्थशास्त्रियों के लिए नहीं, बल्कि माता-पिता, नीति-निर्माताओं और हर युवा के लिए है जो आर्थिक स्वतंत्रता की दहलीज पर खड़ा है।-प्रो. आलोक कुमार राय, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय

 

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