कानपुर : 20 मिनट से अधिक बात करने पर कम उम्र में ही खराब हो सकते कान 

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Published By Vinay Shukla
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लगातार मोबाइल को कान से सटाने से कॉक्लियर नर्व हो सकते हैं क्षतिग्रस्त 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी डॉक्टर ने 375 मरीजों पर स्टडी

Kanpur News : मोबाइल फोन हमारे जीवन का इस कदर हिस्सा बन गया कि उसके बिना अब दो से तीन घंटे बीताना नमुमकिन सा लगता है। समय बीताने के लिए लोग मोबाइल पर रील्स देखते हैं या लंबे वक्त तक कान में मोबाइल सटाकर घंटों अपने परिचित के लोगों से बात करते हैं, जो लोगों के कान के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। लगातार 20 मिनट से अधिक वक्त तक मोबाइन कान में सटाकर बात करने से लोगों को सुनाई कम देने, कान से आवाज आने जैसी समस्या हो रही है। वहीं, इस वजह से कान का कॉक्लियर नर्व भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नाक, कान व गला विभाग में ऐसे कई मरीज पहुंच रहे हैं, जिनको युवावस्था में ही काम सुनाई देने, कान में सीटी जैसी बजने या ऊंचा सुनाई देने समेत आदि समस्या हो रही है। इसकी वजह जानने के लिए विभाग के वरिष्ठ डॉ.हरेंद्र कुमार ने 375 मरीजों पर एक स्टडी की है। डॉक्टर ने टीम के साथ इन मरीजों की हिस्ट्री ली और फिर जांच आदि कराई। हिस्ट्री में तथ्य सामने आए कि 375 में से अधिक मरीज मोबाइल पर अधिक समय बीताते है और 20 से कम किसी से बात नहीं करते, बल्कि लंबी बात करते हैं, जिसकी वजह से कान में समस्या हो रही है, जिसमे महिलाओं में कान संबंधित समस्या अधिक देखने को मिली हैं।

डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति 20 मिनट से अधिक लगातार मोबाइल को कान में सटाकर बात करता है तो कान की कॉक्लियर नर्व क्षतिग्रस्त हो सकती है। लिहाजा कान में सीटी बजने व सांय-सांय की आवाज आने की समस्या होती है। ईयर फाउंडेशन के सैंपल सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। फाउंडेशन ने एक साल में 375 ऐसे पेशेंट का आंकड़ा तैयार किया है। 20 मिनट से अधिक बात करने वाले मरीजों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इससे कान के साथ ही सिर में लगातार दर्द बना रहता है, जो आम पेनकिलर से ठीक नहीं होता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन  कर चुका है पहले ही अलर्ट 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी पहले ही अलर्ट कर चुका है कि 12 से 35 वर्ष की आयु के एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता कम होने या बहरेपन का जोखिम हो सकता है। इसके लिए मुख्य रूप से लंबे समय तक ईयरबड्स से तेज आवाज में संगीत सुनने और शोरगुल वाली जगहों पर रहना एक बड़ा कारण माना जा रहा है। तेज आवाज वाले ये उपकरण आंतरिक कान को क्षति पहुंचाते हैं। सभी लोगों को इन उपकरणों का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए।

ईयरबड्स या हेडफोन व पर्सनल म्यूजिक प्लेयर भी हानिकारक  
डॉ.हरेंद्र ने बताया कि ईयरबड्स या हेडफोन के साथ अधिक समय तक पर्सनल म्यूजिक प्लेयर का इस्तेमाल करने वाले लगभग 65 प्रतिशत लोग लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा आवाज में इसे प्रयोग में लाते हैं। इतनी तीव्रता वाली आवाज कानों के आंतरिक हिस्से के लिए काफी हानिकारक हो सकती है, जिसके संबंध में पूर्व में अध्ययन भी हो चुके हैं। वहीं, युवा आबादी में फोन पर बहुत बात करना या ईयरबड्स जैसे उपकरणों का बढ़ता इस्तेमाल 40 की उम्र तक सुनने की क्षमता को कम कमजोर करने वाली स्थिति हो सकती है।

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