PM मोदी ने बाढ़ प्रभावित पूर्वोत्तर राज्यों को मदद का दिया आश्वासन, 20 से अधिक जिलों में 5.35 लाख से अधिक आबादी प्रभावित

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Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली। असम में बाढ़ की स्थिति मंगलवार को भी गंभीर बनी रही और 20 से अधिक जिलों में 5.35 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। मौसम विभाग ने राज्य के कई हिस्सों में और बारिश का पूर्वानुमान जताया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा से फोन पर बात कर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली और उन्हें केंद्र सरकार से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। शर्मा दिन में कछार जिले का दौरा करेंगे, जो मौजूदा बाढ़ से राज्य के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी), गुवाहाटी ने मंगलवार के लिए चार जिलों धुबरी, दक्षिण सलमारा मानकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। ’ 

‘ऑरेंज अलर्ट’ का मतलब है ‘कार्रवाई के लिए तैयार रहें’ और यह तब जारी किया जाता है जब अलग-अलग स्थानों पर 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवा के साथ आंधी और बिजली गिरने तथा भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना होती है। राज्य के 11 जिलों के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है। ‘येलो अलर्ट’ का मतलब है ‘नजर रखें/जानकारी लेते रहें’। यह तब जारी किया जाता है जब अलग-अलग स्थानों पर 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवा के साथ आंधी और बिजली गिरने की आशंका रहती है। 

अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है और बाढ़ तथा भूस्खलन की घटना में मरने वालों की संख्या 11 हो गई है, जबकि दो अन्य लापता हैं। कई इलाकों में भारी बारिश के कारण राज्य में सड़क, रेल और नौका सेवाएं प्रभावित हुई हैं। राज्य के 22 जिलों के 65 राजस्व मंडलों और 1,254 गांवों में 5.15 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसमें श्रीभूमि सबसे अधिक प्रभावित जिला है जहां 1,94,172 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। कुल 165 राहत शिविरों में 31,212 विस्थापित लोगों को आश्रय दिया गया है, जबकि 157 अन्य राहत वितरण केंद्र भी कार्यरत हैं। पिछले 24 घंटे में 12,610 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसलें जलमग्न हो गई हैं, जबकि 94 जानवर बाढ़ के पानी में बह गए हैं।

सोमवार देर शाम जारी आंकड़ों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र, बराक और कोपिली नदियां कई स्थानों पर खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं, जबकि सुबनसिरी, बूढ़ी दिहिंग, धनसिरी, रुकनी, धलेश्वरी, कटाखल और कुशियारा सहित अन्य नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

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