Share Market: महंगाई आंकड़े और आरबीआई की दर कटौती का बाजार पर होगा ऐसा असर, आप भी हो जाओगे हैरान

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में अप्रत्याशित आधे प्रतिशत की कटौती से हुई जबरदस्त लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह एक प्रतिशत तक उछले घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह केंद्रीय बैंक के इस निर्णय के साथ ही मई के महंगाई आंकड़े का असर रहेगा। 

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 737.98 अंक अर्थात 0.91 प्रतिशत की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 82188.99 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 252.35 अंक यानी 1.01 प्रतिशत उछलकर 25003.05 अंक पर बंद हुआ। 

समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी लिवाली का जोर रहा। इससे मिडकैप 960.16 अंक अर्थात 2.13 प्रतिशत की तेजी के साथ सप्ताहांत पर 46096.51 अंक और स्मॉलकैप 1027.01 अंक यानी 1.96 प्रतिशत मजबूत रहकर 53440.26 अंक हो गया।  विश्लेषकों के अनुसार, सप्ताह की शुरुआत समेकन के साथ करने के बावजूद घरेलू शेयर बाजारों ने टैरिफ युद्धों और बढ़ती भू-राजनीतिक चिंताओं के बीच उल्लेखनीय मजबूती दिखाई।

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मजबूत आंकड़े, रिकॉर्ड वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह और अनुकूल मानसून जैसे सकारात्मक मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतकों से प्रेरित होकर निवेशकों ने वित्तीय, रियल एस्टेट, खुदरा और एफएमसीजी जैसे घरेलू रूप से उन्मुख और ब्याज-संवेदनशील क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। 

इन क्षेत्रों में मजबूत संस्थागत प्रवाह के चलते तेजी देखी गई। वहीं, सप्ताह के दौरान वैश्विक अनिश्चितता के चलते मुनाफावसूली भी देखने को मिली। इसके बावजूद, बेहतर आय परिणामों और आकर्षक मूल्यांकन के कारण मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने आम तौर पर लार्जकैप को पीछे छोड़ दिया। अमेरिकी नौकरियों के मजबूत आंकड़े और अमेरिका-चीन व्यापार तनावों में संभावित नरमी से बाजार में हल्का सकारात्मक रुख बनता दिखा। 

मानक सूचकांकों में भी रिकवरी का प्रयास देखा गया, क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने कमजोर डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बीच मजबूत घरेलू आर्थिक संकेतों को देखते हुए शुद्ध खरीददार की भूमिका निभाई। इससे 'डिप पर खरीदारी' की रणनीति को बढ़ावा मिला। सप्ताह का अंत आरबीआई की नीतिगत घोषणाओं के रूप में एक सकारात्मक झटके के साथ हुआ। 


रिजर्व बैंक ने अपेक्षा से अधिक आक्रामक कदम उठाते हुए रेपो दर में 50 आधार अंक और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 100 आधार अंक की कटौती की। साथ ही ‘तटस्थ’ मौद्रिक रुख बरकरार रखते हुए पर्याप्त तरलता समर्थन दिया, जिससे बाजारों में तेजी से उछाल आया और पिछले सप्ताह हुए नुकसान की भरपाई हो सकी। वहीं, अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन के सात दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर संभावित प्रतिबंध दीर्घकालिक जोखिम पैदा करते हैं और निवेशक अब अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इंतज़ार कर रहे हैं।

इसके बीच, स्थानीय स्तर पर महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बनाए रखने की दिशा में आरबीआई की आक्रामक दर कटौती, निवेशकों के विश्वास को मजबूती देने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकती है। अगले सप्ताह मई का उपभोक्त मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मु्द्रास्फीति के आंकड़े जारी होने वाले, जिसका असर बाजार पर रहेगा।

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