बलरामपुर: तराई में पानी का भीषण संकट, करीब 12 दिनों से बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण
सरकारी उदासीनता से ग्रामीण बेहाल, टैंकरों के सहारे बुझ रही प्यास
गैसड़ी/तुलसीपुर, बलरामपुर, अमृत विचार। आग बरसाती गर्मी और सूखते जलस्रोतों ने तराई क्षेत्र में पेयजल संकट को और गहरा कर दिया है। तुलसीपुर नगर के आसपास के गांवों और गैसड़ी विकास खंड के सिरसिहवा गांव के लोग पिछले 12 दिनों से पानी की एक-एक बूंद के लिए जूझ रहे हैं। हैंडपंप पूरी तरह से सूख गए हैं नलों में पानी नहीं है। सरकार की ‘हर घर नल से जल’ योजना गांव तक अब तक नहीं पहुंच पाई है। अगर पहुंच भी गई है तो शुरू नहीं हो पाई है।
स्थानीय ग्राम प्रधान द्वारा अपनी तरफ से टैंकर के माध्यम से सुबह और शाम पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। जैसे ही टैंकर गांव में पहुंचता है, लोग बाल्टी, डिब्बा और कंटेनर लेकर लंबी लाइन में खड़े हो जाते हैं। गांव के हर घर में पेयजल की भारी किल्लत है और गर्मी के इस मौसम में लोगों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
हर घर नल से जल योजना से वंचित सिरसिहवा
करीब एक हजार की आबादी वाले सिरसिहवा गांव में पिछले साल ही भूमिगत जलस्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। गांववासियों का कहना है कि अगर समय रहते पाइपलाइन से जलापूर्ति की योजना लागू की जाती तो आज यह स्थिति न होती।
भीम कुमार पांडेय बताते हैं कि उनके घर और आसपास के हैंडपंप पूरी तरह सूख चुके हैं। यदि टैंकर से पानी न मिले तो पीने का पानी भी नसीब न हो। ग्रामीणों पाटेश्वरी वर्मा, राम अभिलाष पांडेय, श्याम सिंह, हुसेनी यादव और झगरू विश्वकर्मा ने बताया कि टैंकर से पानी भरकर ही किसी तरह दिन गुजरता है।
प्रशासन नदारद, फोन पर ली जा रही जानकारी
प्रधान प्रतिनिधि शिवजीत सिंह शिवा ने जानकारी दी कि पानी की बढ़ती मांग को देखते हुए सुबह 7 से 9 और शाम को 6 से 8 बजे तक कुल चार टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। शनिवार को लेखपाल प्रशांत गुप्त और आपदा प्रबंधन विभाग के एक कर्मचारी ने फोन पर स्थिति की जानकारी तो ली लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता के चलते आज गांव के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं।
