शाहजहांपुर: 277 हैंडपंप की जांच किए बिना ही बंद कर दी फाइल

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Published By Monis Khan
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शाहजहांपुर, अमृत विचार। हैंडपंप रिबोर घोटाले में फिर नया खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद पता चला है कि शिकायतकर्ता ने 458 हैंडपंप रिबोर की जांच करने की मांग की थी, लेकिन जांच अधिकारियों ने 181 हैंडपंप की जांच करने के बाद ही फाइल बंद कर दी। जबकि अभी 277 हैंडपंप की जांच बाकी थी।

जांच अधिकारियों की ओर से बताया गया कि जैतीपुर ब्लॉक से 181 हैंडपंप की सूची मिली है, शेष की सूची ब्लॉक से नहीं मिल पा रही है। जानकारी होने पर शिकायतकर्ता ने दोबारा से जांच कराने की मांग करते हुए कमिश्नर बरेली से शिकायत की थी। जिस पर दोबारा जांच हो रही है। जो जांच अब बरेली की टीम कर रही है। जिसमें डीडी पंचायत बरेली भी हैं। दो बार टीम जैतीपुर आ चुकी है।

बंडा के रामप्रवेश शुक्ला ने पिछले वर्ष जैतीपुर विकासखंड क्षेत्र के 53 ग्राम पंचायत में हुए 458 हैंडपंप रिबोर की जांच के लिए लोकायुक्त से शिकायत की थी। डिप्टी कलेक्टर दुर्गेश यादव के नेतृत्व में टीम ने जांच की थी। जनवरी 2024 में बीडीओ जैतीपुर को पत्र भेजकर हैंडपंप रिबोर की सूची मांगी थी। नहीं मिलने पर 29 जनवरी को दोबारा सूची मांगी गई थी। बीडीओ की तरफ से केवल 181 की सूची उपलब्ध कराई गई थी।

जांच में बड़ा घोटाला सामने आया था। अधिकांश हैंडपंप रिबोर होने की पुष्टि नहीं हुई थी। रिबोर से पूर्व हैंडपंप कहां लगा था, इसके भी साक्ष्य नहीं मिल सके थे। केवल स्थानीय लोगों के बयान के आधार पर हैंडपंप रिबोर माना गया था। टीम के मुताबिक दी गई रिपोर्ट के अनुसार 181 हैंडपंप में 38 हैंडपंप नहीं मिले। 25 हैंडपंप का रिबोर होना नहीं पाया गया था।

सात हैंडपंप का रिबोर बंद मिला था। तीन हैंडपंप घरों के अंदर लगे पाए गए थे। तीन में सबमर्सिबल लगा मिला था। जांच से असंतुष्ट रामप्रवेश शुक्ला ने कमिश्नर बरेली कार्यालय में वाद दायर किया था। इसमें सभी 458 हैंडपंप रिबोर की जांच की मांग कर घोटाले पर कार्रवाई की मांग की है।

लोकायुक्त के आदेश पर हुई पहली जांच
हैंडपंप रिबोर घोटाला एक समय में ओपन सीक्रेट बन गया था। जानते सभी थे कि हैंडपंप रिबोर के नाम पर सिर्फ घोटाला किया जा रहा है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के तमाम हैंडपंप हमेशा खराब ही पड़े रहते थे। इसके बाद भी लगातार इनको रिबोर कराने के लिए पैसा आता था। धीरे-धीरे यह बात बंडा निवासी राम प्रवेश शुक्ला तक पहुंची। उन्होंने मामले की शिकायत लोकायुक्त से की। जिसके बाद मामले की पहली जांच की गई, लेकिन जांच आधी-अधूरी की गई। 458 हैंडपंपों की जांच की मांग थी, लेकिन जांच की गई सिर्फ 181 हैंडपंप की। जिसके बाद राम प्रवेश ने मामले की दोबारा शिकायत की।

दोबारा जांच की जरूरत क्यों
दोबारा जांच की जरूरत इसलिए समझी जा रही है क्योंकि पहली जांच अधूरी है। 458 की जगह पर 181 हैंडपंप की ही जांच हुई है और 277 हैंडपंप जांच के लिए शेष हैं। जिनकी जांच होना बाकी है। ऐसे में जांच बंद कराने से सवाल उठ रहे हैं। पहली जांच रिपोर्ट में जिस तरह से अनियमितताएं पाई गई हैं। उस तरह से कार्रवाई नहीं हो पा रही है। हैंडपंप रिबोर कराने के लिए ग्राम पंचायत की ओर से प्रस्ताव किया जाता है और उसी पर हैंडपंप रिबोर होते हैं, लेकिन इस मामले में ग्राम पंचायत का प्रस्ताव नहीं है। पहली जांच में इसका कोई जिक्र नहीं है कि आखिर ग्राम पंचायत का प्रस्ताव क्यों नहीं है। इसके अलावा पहली जांच रिपोर्ट रिबोर की मेजरमेंट बुक का कोई जिक्र नहीं है। डीडी पंचायती राज बरेली महेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की जांच चल रही है।

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