UP News: उज्बेकिस्तानी महिला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाया ड्राइविंग लाइसेंस, मददगारों की तलाश में जुटी पुलिस

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः उज्बेकिस्तान की एक महिला लोला ने लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ में जाली दस्तावेजों का उपयोग कर ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) हासिल किया था। ऑनलाइन फेसलेस सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर दलालों ने लोला को लाइसेंस बनवाने में सहायता की। अब आरटीओ से यह पता लगाया जा रहा है कि लाइसेंस कैसे बना और इसमें किन लोगों का हाथ था।

सुशांत गोल्फ सिटी में ओमेक्स न्यू हजरतगंज इमारत में अवैध रूप से रह रही दो उज्बेकिस्तानी महिलाओं के पकड़े जाने के बाद जांच में यह बात सामने आई। ये महिलाएं लोला के बुलावे पर लखनऊ पहुंची थीं। लोला को विदेशी महिलाओं के एक अवैध गैंग का सरगना माना जा रहा है। उसने डीएल बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। लोला के डीएल में उसका पता वी-104, ओमेक्स आर-1, ऑर्चिड-वी दर्ज है।

ऑनलाइन सिस्टम की कमियों का हुआ दुरुपयोग

डीएल बनवाने की ऑनलाइन व्यवस्था में कई खामियां हैं, जिनका फायदा दलाल उठाते हैं। वे लर्नर से लेकर स्थायी डीएल तक बनवाने के लिए 4200 से 5000 रुपये तक वसूलते हैं। लर्नर लाइसेंस के लिए आवेदकों को आरटीओ जाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऑनलाइन आवेदन के जरिए लाइसेंस बन जाता है, और इस दौरान पते की जांच भी नहीं होती। दलाल इस प्रक्रिया में आवेदकों की मदद करते हैं और कमीशन लेते हैं। इस सिस्टम के दुरुपयोग के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।

सॉफ्टवेयर की कमी: असली आवेदक की पहचान नहीं

परिवहन विभाग का डीएल सॉफ्टवेयर दलालों के हथकंडों को पकड़ नहीं पाता। यह सॉफ्टवेयर यह नहीं समझ पाता कि कैमरे के सामने मौजूद व्यक्ति असली आवेदक है या कोई और। यही कारण है कि हाल ही में एक मृत व्यक्ति का डीएल जारी हो गया था। इससे पहले उन्नाव में एक रोहिंग्या के लिए भी लाइसेंस बनाया जा चुका है।

डीएल बनवाने की प्रक्रिया

लर्नर लाइसेंस पूरी तरह ऑनलाइन बनता है, जिसमें आरटीओ की कोई भूमिका नहीं होती। आवेदन के लिए मोबाइल नंबर का आधार से लिंक होना जरूरी है। ऑनलाइन टेस्ट पास करने के बाद लर्नर लाइसेंस जारी होता है। 

लर्नर लाइसेंस मिलने के एक से छह महीने के भीतर स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। फीस जमा करने के बाद स्लॉट मिलता है, जिसमें आरटीओ में बायोमेट्रिक सत्यापन और ड्राइविंग टेस्ट देना पड़ता है। टेस्ट पास करने पर लाइसेंस जारी होकर डाक से आवेदक के पते पर भेजा जाता है।

परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने कहा कि उज्बेकिस्तानी महिला के डीएल मामले में पुलिस ने जानकारी मांगी है। आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई दी जाएगी और, और आगे भी पूरा सहयोग किया जाएगा।

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