गोंडा: बलरामपुर रोड से ताड़ी लाल गांव तक मनोरमा नदी से हटेगा अतिक्रमण, रोपित किए जायेंगे पीपल, नीम व पाकड़ के पौधे
गोंडा, अमृत विचार। प्राचीन सांस्कृतिक पहचान और प्राकृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने की दिशा में जिला प्रशासन ने मनोरमा नदी के पुनर्जीवन के लिए जनभागीदारी आधारित पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत बलरामपुर रोड से ताड़ी लाल गांव तक मनोरमा नदी से अतिक्रमण हटाया जायेगा और नदी की सफाई कराकर उसकी जलधारा को बहाल किया जायेगा।
हरियाली और जैव विविधता के लिए नदी के किनारों पर पीपल, नीम व पाकड़ के पौधे रोपित किए जायेंगे। शुक्रवार को जिलाधिकारी ने इस नदी का निरीक्षण किया और संबंधित विभागों के अधिकारियों को इस पहल को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। मनोरमा नदी प्रदेश की पौराणिक नदियों में से एक है जो गोण्डा और बस्ती जिलों से होकर बहती है।
इसका उद्गम गोण्डा जिले के तिर्रे मनोरमा ताल से होता है और यह बस्ती के परशुरामपुर क्षेत्र से गुजरते हुए महुली के पास कुआनो नदी में मिल जाती है। इस नदी का नाम महर्षि उद्दालक की पुत्री मनोरमा के नाम पर पड़ा और इसका उल्लेख प्राचीन पुराणों में भी मिलता है।
मखौड़ा धाम के निकट बहने वाली इस नदी को पवित्र माना जाता है और इसे अनेक धार्मिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है लेकिन वर्तमान में इस नदी का आस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। गाद, अतिक्रमण और जलस्रोतों के सूख जाने से इसका जल बहाव बाधित हो गया है।
अब सीएम योगी के निर्देश पर इस नदी को पुनर्जीवित करने की पहल जिला प्रशासन ने शुरू की है। शुक्रवार को जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस नदी का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के बाद उन्होने संबंधित अधिकारियों को पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से नदी की गाद और कचरे की सफाई का कार्य तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए। डीएम ने कहा कि सफाई कराकर नदी की जलधारा को फिर से बहाल कराया जायेगा।
साथ ही इसके दोनों किनारों पर पीपल, नीम, पाकड़ जैसे देशी प्रजातियों के पौधे रोपित किए जायेंगे। उन्होने कहा कि मनोरमा नदी का पुनर्जीवन न केवल जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर होगा, बल्कि यह जनपद की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक पहचान को फिर से स्थापित करने का माध्यम भी बनेगा।
