मनरेगा में महिलाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा, बिना फोटो अपलोड के जारी हो रहा पैसा, CDO ने दिए जांच के आदेश
बाराबंकी, अमृत विचार। मनरेगा योजना में बड़ी अनियमितता सामने आई है। महिला श्रमिकों के नाम पर मस्टर रोल बनाए गए। लेकिन न तो वे काम पर दिखीं और न ही उनकी तस्वीरें मनरेगा पोर्टल पर अपलोड की गईं। इसके बावजूद उनके नाम से भुगतान किया जा रहा है। सीडीओ ने मामले में जांच के आदेश दिये हैं। हरख विकास खंड के टिकराघाट ग्राम पंचायत में इंटरलॉकिंग और नाली निर्माण कार्य के लिए सात श्रमिकों के नाम दर्ज किए गए। इनमें दो महिलाएं शामिल हैं।
मनरेगा पोर्टल पर इन महिलाओं की कोई तस्वीर नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार कुछ दिन काम हुआ, फिर बंद हो गया। लेकिन भुगतान जारी है। पडरा ग्राम पंचायत में चकबंदी निर्माण के लिए 20 श्रमिकों के नाम दर्ज हैं। चार महिला श्रमिकों में से किसी की भी तस्वीर पोर्टल पर नहीं है। दौलतपुर में 18 श्रमिकों में 6 महिलाएं शामिल हैं। यहां भी एक भी महिला की तस्वीर नहीं है। गुलरिया में 44 श्रमिकों के नाम दर्ज हैं। लेकिन न तो काम चल रहा है और न ही महिलाएं मौजूद हैं।
जिससे यह स्पष्ट है कि कुछ अधिकारी और स्थानीय जिम्मेदार मनरेगा की मूल भावना की अनदेखी कर रहे हैं। योजनाओं को सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित किया जा रहा है। महिला श्रमिकों की दिखावटी भागीदारी दिखाकर धन निकासी की जा रही है।
डिप्टी कमिश्नर मनरेगा बृजेश कुमार त्रिपाठी ने सभी ग्राम पंचायतों की जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन ने स्पष्ट कहा है कि मनरेगा में किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिन मामलों में गड़बड़ी मिलेगी, वहां भुगतान रोककर संबंधित अफसरों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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