खेतों की मिट्टी बीमार, 84 फीसदी तक कम मिला ऑर्गेनिक कार्बन: किसान प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्वों में करेंगे सुधार
प्रशांत सक्सेना, लखनऊ/अमृत विचार : प्रदेश में प्राकृतिक खेती की कमी और रासायनिक चीजों का अंधाधुंध प्रयोग करने से मिट्टी की सेहत में सुधार नहीं हो पा रहा है। इससे पोषक तत्वों की चली आ रही कमी पूरी नहीं हो पाई है। परिणाम यह है कि मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा 84 फीसदी तक कम है। इसकी पूर्ति न होने की वजह से अन्य पोषक तत्वों में भी कमी आई है। कृषि विभाग ने मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता अभियान के तहत खरीफ में 12.13 लाख मिट्टी के सैंपल लेकर 3,46,493 का परीक्षण किया है। इस रिपोर्ट में 84 फीसद तक ऑर्गेनिक कार्बन कम मिला है।
इसकी कमी से नाइट्रोजन, फासफोरस, सल्फर आदि तत्वों की मात्रा भी कम पाई है। जबकि यह पोषक तत्व ऑर्गेनिक कार्बन से बनते हैं और इनसे पौधों की बढ़वार होती है। इन पोषक तत्वों में कमी की मुख्य वजह प्राकृतिक संसाधन जैसे खेतों पर गोबर की खाद, कूड़ा, वर्मी कम्पोस्ट, फसल अवशेष जमीन पर निस्तारित न करना है। इससे कहीं न कहीं पैदावार प्रभावित है और किसानों को भी बेहतर परिणाम नहीं मिल रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन .8 तक होना चाहिए। तभी मिट्टी उपजाऊ व स्वस्थ्य मानी जाएगी। नाइट्रोजन कम होने की दूसरी वजह किसानों द्वारा दलहनी फसलें न करके सिर्फ गेहूं, धान, मक्का आदि पर निर्भरता है। दलहनी पौधों की जड़ें वायुमंडल से नाइट्रोजन बनाने में सहायक होती है। इन पोषक तत्वों की कमी किसान मृदा रिपोर्ट कार्ड के आधार पर दूर करेंगे।
सोडियम ज्यादा, सल्फर में आई कमी
मिट्टी में सोडियम की मात्रा अधिक है। इस वजह से डाले जाने वाले अन्य पाेषकतत्व नहीं ठहरते हैं। इसके अलावा नाइट्रोजन 94 फीसदी तक कम है। वहीं, सल्फर में इस बार 34 फीसदी की कमी आई है। जबकि फासफोरस 62 फीसदी सामान्य है। पोटेशियम भी 81 फीसदी तक सामान्य है।
इन सामग्री से बढ़ाएंगे ऑर्गेनिक कार्बन
पौधों के अवशेष, सड़ी-गली पत्तियां, टहनियां, और फसल के डंठल, गोबर और अन्य पशुधन अपशिष्ट, मिट्टी में रहने वाले बैक्टीरिया, खाद, कंपोस्ट, और अन्य कार्बनिक सामग्री
मिट्टी में ये पोषक तत्व पर्याप्त
- कॉपर : 95 फीसदी
- आइरन : 72 फीसदी
- बोरान : 68 फीसदी
- सल्फर : 66 फीसदी
- जिंक : 64 फीसदी
- मैंगनीज : 89 फीसदी
कुल प्रयोगशाला : 254
मृदा परीक्षण में जो पोषक तत्व कम मिलते हैं वह किसान रिपोर्ट कार्ड के आधार पर पूरा करते हैं। ऑर्गेनिक कार्बन की कमी प्राकृतिक खेती से दूर होगी। इसके लिए किसानों को अभियान चलाकर जागरूक किया जा रहा है और प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं।
ये भी पढ़े : महिला सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण की ऐतिहासिक पहल, लखनऊ में हुई शक्ति वन की स्थापना
