अब बस भी करो यार में दिखा स्कूलों का भ्रष्टाचार... सरकारी विद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तीखा व्यंग्य
लखनऊ, अमृत विचार: सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक संस्था अनादि की ओर से संस्कृति विभाग के सहयोग से राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में नाटक अब बस भी करो यार का मंचन किया गया। मनोरमा श्रीवास्तव द्वारा लिखित और संदीप देव द्वारा निर्देशित इस नाटक में सरकारी विद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तीखा व्यंग्य किया गया है।
नाटक की शुरुआत एक भावुक प्रार्थना इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना... से होती है। छात्र और शिक्षक इसे एक सुर में गाते हैं मानो देश का भविष्य संवारने को तत्पर हों, लेकिन प्रार्थना के अंत के साथ ही जैसे एक नया पर्दा उठता है। स्कूल के स्टाफ रूम में चाय की चुस्कियों और औपचारिक अभिवादन के बीच प्रधानाचार्य भल्ला जी अपने चपरासी राजेश के साथ प्रवेश करते हैं और सरकार द्वारा भेजे गए आदेश की सूचना देते हैं। वर्ष का सांस्कृतिक एवं खेल महोत्सव आयोजित करना है। हर शिक्षक को दो-दो प्रतियोगिताओं की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, सिवाय शुक्ला जी के। उन्हें सीधे खेल अधिकारी बना दिया जाता है। बातों-बातों में योजना बनती है कि कैसे इस आयोजन के बहाने अधिक से अधिक बजट का गमन किया जाए। खेलों की गुणवत्ता जाए भाड़ में, जेब भरनी चाहिए। यही बनता है मंत्र। सभी शिक्षक और कर्मचारी इसमें शामिल हो जाते हैं, और योजना बना कर घर लौट जाते हैं।
अगले दृश्य में स्कूल के लॉन में धूप सेंकते शिक्षक घरेलू मुद्दों और पति पर अत्याचार जैसी सनसनीखेज खबरों पर चर्चा करते नजर आते हैं। तभी माली हड़बड़ाते हुए आता है। डीआईओएस औचक निरीक्षण पर आए हैं। मंच पर अफरा-तफरी मच जाती है। नाटक में अनिल कुमार, विशाल श्रीवास्तव, आदित्य मिश्रा, गुरुदत्त पांडेय, मनोज वर्मा, मुकुल चौहान, बसंत मिश्रा, निरुपमा राहुल एवं अंशिका सक्सेना उल्लेखनीय अभिनय किया।
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