भारतीयता की सुगंध से दुनिया को महकाएंगे विदेशी छात्र, LU करेगा हिंदी और संस्कृति पढ़ने के लिए प्रेरित

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ/अमृत विचार: प्राचीन काल से अब तक भारत की वैश्विक पहचान उसके ज्ञान, प्रज्ञा और संस्कार से होती रही है। इसी मूलमंत्र को आगे बढ़ाते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारतीय संस्कृति, हिंदी भाषा और भारत की अर्थव्यवस्था का पाठ पढ़ने को प्रेरित करेगा। विश्वविद्यालय इन छात्रों के लिए गैर क्रेडिट पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है, जो शैक्षणिक सत्र 2025-26 से आरंभ होगा। इससे वैश्विक अकादमिक सहयोग को नया आयाम मिलने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।

शैक्षणिक सत्र 2025-26 से विदेशी छात्रों के लिए गैर क्रेडिट तीन विषयों में पाठ्यक्रमों की शुरुआत हो रही है जिसमें हिंदी भाषा, भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत की समृद्ध संस्कृति व विरासत है। जिसके माध्यम से भारत की बहुआयामी भाषाई, आर्थिक और सांस्कृतिक विविधताओं से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को परिचित कराया जाएगा। जिससे विदेशी छात्र भारत को शैक्षणिक केंद्र के साथ भारत की 5 हजार वर्ष से अधिक प्राचीन जीवंत संस्कृति को भी आत्मसात कर सकें।

अगस्त से शुरू होंगे पाठ्यक्रम

विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों का आगमन अगस्त माह में भारत में होने लगेगा। जिसके बाद इन नॉनक्रेडिट पाठ्यक्रमों को आरंभ किया जाएगा। हालांकि ये पाठ्यक्रम शैक्षणिक क्रेडिट के अंतर्गत नहीं आएंगे। फिर भी ये पूरक शिक्षण अनुभव के रूप में कार्य करेंगे।

शैक्षणिक और सांस्कृतिक कूटनीति

केंद्र सरकार के शैक्षणिक कूटनीतिक पहल के अनुरूप ही विश्वविद्यालय का यह उपक्रम हैं। जिसके माध्यम से शिक्षा और संस्कृति को साफ्ट डिप्लोमेसी की तरह प्रयोग किया जाएगा। इन पाठ्यक्रमों से विदेशी छात्रों को भारतीय जीवन दर्शन, सामाजिक मूल्यों और आर्थिक परिपेक्ष्य के साथ भारत की आत्मा से भी जोड़ने में सहायक सिद्ध होगा।

भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की प्रशंसा देशी-विदेशी इतिहासकारों ने किया है। अंतरराष्ट्रीय छात्र जब इससे परिचित होंगे तो भारतीयता की सुगंध दुनिया भर में फैलेगी। यह प्रयास केंद्र सरकार के शैक्षिक और सांस्कृतिक पहल के अनुरूप भी है।

डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव, प्रवक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय

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