दिव्यांगजनों के UDID कार्ड के लिए गठित बोर्ड में निजी डॉक्टर होंगे शामिल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजनों के कल्याण और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का लक्ष्य विशिष्ट अधिगम और बौद्धिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों की पहचान, मूल्यांकन, दिव्यांगता प्रमाणपत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड जारी करना है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर लंबित प्रमाणपत्र मामलों की समीक्षा करने और प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया है। विभाग ने 12 मार्च 2024 की अधिसूचना का उल्लेख करते हुए सुझाव दिया है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए निजी चिकित्सकों को प्रमाणपत्र बोर्ड में शामिल किया जाए। साथ ही, मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों का सहयोग भी लिया जाए। इसके अलावा, मेडिकल बोर्डों का पुनर्गठन, विशेषज्ञों की नियुक्ति और प्रमाणपत्र दिवसों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की गई है ताकि लंबित मामलों का त्वरित निपटारा हो।
राज्य दिव्यांगजन आयुक्त प्रो. हिमांशु शेखर झा ने बताया कि यह पहल विशेष रूप से डिस्लेक्सिया, डिस्केलकुलिया, डिसग्राफिया और डिस्प्रेक्सिया जैसी विशिष्ट अधिगम अक्षमताओं वाले व्यक्तियों के लिए है। इन व्यक्तियों की बौद्धिक क्षमता सामान्य या उससे अधिक होती है, और वे समाज में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, अब तक इनके लिए कोई व्यापक राज्यव्यापी अभियान नहीं था।
प्रो. झा ने कहा कि 2016 के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में विशिष्ट अधिगम अक्षमता को मान्यता दी गई है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर प्रमाणपत्र और योजनाओं का लाभ सीमित रहा। इस कमी को दूर करने के लिए अब यह अभियान शुरू किया गया है, जिसमें पहचान से लेकर प्रमाणपत्र वितरण तक की प्रक्रिया को सुचारु किया जाएगा।
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