कानपुर : सीएमओ की जांच में दोषी मिले थे एसीएमओ डॉ.सुबोध प्रकाश
एसीएमओ डॉ.सुबोध प्रकाश वर्ष 2003 से है कानपुर नगर में ही तैनात
कानपुर, अमृत विचार : सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी ने एसीएमओ डॉ.सुबोध प्रकाश की शिकायत मुख्यमंत्री से की थी, साथ ही पत्र की कॉपी उप मुख्यमंत्री चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव को भी प्रेषित की थी, जिसपर डॉ.नेमी ने एसीएमओ डॉ.सुबोध पर गंभीर आरोप लगाए थे और जेएम फार्मा को भुगतान करने का दबाव बनाने का भी आरोप लगाया था। जबकि जांच में जेएम फार्मा की सामाग्री अधोमानक मिली थी।
सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी को तैनाती के बाद एसीएमओ डॉ.सुबोध प्रकाश यादव के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसकी उन्होंने एक टीम गठन कर जांच कराई, जिसमे उन्होंने पाया था कि डॉ. सुबोध यादव नियमों के विपरीत व पार्टी विशेष के लिए कार्य करते हैं और भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। इस वजह से डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को उस समय भंडार व नोडल अधिकारी नर्सिंग होम के पद से हटाते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी के पद पर स्थानान्तरित कर दिया गया था। वहीं, आरोप है कि सीबीआई से चार्ज शीटेट आचार्य नगर के प्रोपाइटर मेसर्स जेएम फार्मा को एक करोड़ 60 लाख 47 हजार रूपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था, जिसपर सीएमओ ने जांच समिति का गठन कर जांच करायी है। सीएमओ के मुताबिक फर्म सीबीआई जैसे गम्भीर भ्रष्टाचार में चार्ज शीटेट मिली थी और स्वास्थ्य विभाग से भ्रष्टाचार के आरोप पाए गए, जांच में फर्म द्वारा आपूर्ति की गयी सामग्री अधोमानक, कम मात्रा में व बैच नम्बर के विपरीत पाई थी।
ऐसी दशा में सीबीआई से आरोपित फर्म के अधोमानक सामान के क्रम में भुगतान नहीं किया गया। जानकारी हुई कि डॉ. सुबोध ने चीफ फार्मासिस्ट अवनीश कुमार शुक्ला, डॉ. वंदना सिंह, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ अपने पद का दुरुप्रयोग किया। मिलीभगत कर जेम पोर्टल व अभिलेखों में हेराफेरी कर अधोमानक सामग्री प्राप्त की और नियम विरूद्ध 1.60 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने का कुचक्र रचा। सीएमओ की जांच में दोषी पाये जाने, विभाग व सरकार छवि धूमिल करने वाले डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निलम्बित करने के आदेश प्रमुख सचिव को दिए। साथ ही विभागीय कार्यवाही की गयी है। वहीं, आरोपी चीफ फार्मासिस्ट और वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी। मामले में सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी ने कुछ भी नहीं बोलें।
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