बिना धर्म बदले दूसरे धर्म में शादी अवैध : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- इस तरह की शादियां कानून का उल्लंघन
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आपराधिक मामले की कार्यवाही रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि पीड़िता घटना के समय नाबालिग थी और बिना विधिसम्मत धर्म परिवर्तन के अलग-अलग धर्मों के युवक-युवती के बीच हुआ विवाह वैध नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव (गृह) को प्रदेश में कथित फर्जी आर्य समाज मंदिरों की जांच के आदेश भी दिए हैं। उक्त आदेश प्रशांत कुमार की एकलपीठ ने सोनू उर्फ शाहनूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में याची ने 12 सितंबर 2024 को जारी समन आदेश और आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत पुलिस स्टेशन निचलौल, महाराजगंज के न्यायालय में लंबित पूरी कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी।
याची के अधिवक्ता ने दावा किया कि पीड़िता से उसकी शादी 14 फरवरी 2020 को प्रयागराज स्थित आर्य समाज मंदिर में हुई थी और वह अब बालिग होकर उसके साथ रह रही है, जबकि एजीए ने आपत्ति जताते हुए बताया कि हाईस्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार पीड़िता घटना के समय नाबालिग थी और बिना वैध धर्म परिवर्तन के यह विवाह कानूनन अमान्य है। उन्होंने आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र को फर्जी करार दिया। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि यह विवाह उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के तहत पंजीकृत नहीं है और जब युगल अलग-अलग धर्मों के हों, तब केवल आर्य समाज का प्रमाणपत्र पर्याप्त नहीं है। अंत में कोर्ट ने प्रमुख सचिव (गृह) उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वे एक वरिष्ठ अधिकारी (पुलिस उपायुक्त से नीचे नहीं) के माध्यम से राज्य में संचालित ऐसी फर्जी आर्य समाज समितियों की जांच कराएं, जो नाबालिगों के विवाह कराकर फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर रही हैं, साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के उल्लंघन के मामलों की भी रिपोर्ट मांगी गई है। इस संबंध में गृह सचिव से मामले की अगली सुनवाई यानी 29 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
