SRN में बिना चीरे की हुई थायरॉयड सर्जरी: मिर्जापुर निवासी महिला को मिली राहत, पूर्वांचल में पहली बार टोयटो तकनीक से सफल ऑपरेशन
प्रयागराज, अमृत विचार। स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय प्रयागराज (एसआरएन) के ईएनटी विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करते हुए पहली बार ट्रांसओरल एंडोस्कोपिक हेमीथायरॉयडेक्टॉमी वाया वेस्टीबुलर एप्रोच तकनीक से सफल थायरॉयड सर्जरी की है। यह ऑपरेशन मिर्जापुर निवासी 32 वर्षीय महिला पर किया गया, जो पिछले पांच वर्षों से गले में सूजन की समस्या से परेशान थीं।
इस अत्याधुनिक प्रक्रिया में गर्दन पर कोई बाहरी चीरा नहीं लगाया जाता। सर्जरी पूरी तरह से एंडोस्कोपिक विधि से मुंह के अंदर, विशेष रूप से निचले होंठ के पीछे वेस्टीबुलर क्षेत्र से की जाती है। इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गर्दन पर कोई निशान नहीं रहता, जिससे यह विशेष रूप से युवतियों और महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है।
ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सचिन जैन ने बताया कि यह ना केवल प्रयागराज बल्कि पूरे पूर्वांचल क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। हमारी टीम ने यह उन्नत सर्जरी सफलता पूर्वक की है, जिससे अब मरीजों को राजधानी या मेट्रो सिटी तक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में यह तकनीक क्षेत्र को चिकित्सा नवाचार और स्वास्थ्य पर्यटन का केंद्र बना सकती है।"
इस सर्जरी को डॉ. सचिन जैन, डॉ. राम सिया सिंह, डॉ. संकल्प केशरी, और डॉ. शिवेन्द्र प्रताप सिंह की टीम ने सफलतापूर्वक किया है। एनेस्थीसिया की जिम्मेदारी डॉ. राजीव गौतम एवं उनकी टीम ने संभाली। इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) वीके पांडेय ने कहा कि एसआरएन अस्पताल एवं मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का उद्देश्य सदैव आमजन को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना रहा है। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि शासकीय चिकित्सा संस्थान भी उन्नत तकनीकें अपनाकर बेहतर इलाज प्रदान कर सकते हैं।"
टोइटवा तकनीक की यह सफलता एसआरएन अस्पताल को पूर्वांचल में पहली बार "बिना चीरे की थायरॉयड सर्जरी" उपलब्ध कराने वाला संस्थान बनाती है। यह ना केवल मरीजों के लिए सौंदर्य और आत्मविश्वास की दृष्टि से वरदान है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और शोध के लिए भी एक मील का पत्थर है।
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