'धैर्य से सुननी होगी समस्या, निकालना होगा हल' Help Desk पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार: थाने पर वही महिला फरियाद लेकर आती है तो घर परिवार से टूट जाती है। उसका आखिरी भरोसा अगर किसी पर होता है तो वह होती है पुलिस। इस सूरत में धैर्य में रहकर उनकी पीड़ा सुननी होगी। इसके बाद घटना के हिसाब से उसके हल का रास्ता भी खोजना होगा। 

बुधवार को डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने यह बातें पुलिस लाइन संगोष्ठी हाल में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान महिला पुलिस कर्मियों से कहीं। थानों पर बनी महिला हेल्प डेस्क पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को और संवेदनशील बनाने व दक्षता को बढ़ाने के लिए यूनिसेफ की मदद से दो दिनों का प्रशिक्षण दिया गया।

डीसीपी क्राइम ने बताया कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध (घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, यौन शोषण, पॉक्सो, शारीरिक व मानसिक शोषण आदि) के मामलों में पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता बरतने की जरूरत होती है। पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता और व्यावहारिक दक्षता बढ़ाने के मकसद से सभी थानों की महिला हेल्प डेस्क पर कार्यरत महिला पुलिसकर्मियों के लिए 2 और 4 अगस्त को पुलिस लाइन में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। डीसीपी ने कहा कि थाने आने वाली पीड़ित महिला की सहायता अवश्य करें। 

जरूरत पड़ने पर उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए मार्गदर्शन करें। इस दौरान विशिष्ट मामलों जैसे घरेलू हिंसा, दहेज, यौन उत्पीड़न, पॉक्सो जैसे कानूनों के तहत मामलों को संभालने के लिए विशेष संवेदनशीलता और प्रक्रियाओं का कैसे पालन करना है, इसकी जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी गई। 

अगर बच्चे या छात्राएं आएं तो उनके मामलों में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान रामायण यादव (प्रोफेसर एवं निदेशक, विज्ञान फाउंडेशन), कुसलप्पा निदेशक (सपोर्ट एंड रिहैबिलिटेशन इन फील्ड प्रोटेक्टिव हेल्थ ट्रस्ट, बैंगलोर), निमिषा तिवारी (मनोवैज्ञानिक प्रैक्टिशनर एवं सामाजिक सुरक्षा प्रशिक्षक) और रिजवाना परवीन (मंडलीय तकनीकी संसाधन व्यक्ति, EVAWCH, यूनिसेफ) व अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहें।

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