यूपी के 115 राजनीतिक दल भारत निर्वाचन आयोग की सूची से बाहर, जानें कार्रवाई के पीछे का सच
लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के 115 राजनीतिक दलों को अपनी मान्यता प्राप्त सूची से हटा दिया है, जिससे इन दलों को बड़ा झटका लगा है। यह कार्रवाई उन दलों के खिलाफ की गई है, जो 2019 के बाद से किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में भाग नहीं ले पाए। आयोग ने साफ किया कि जो दल लगातार चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय नहीं रहे, वे अब सरकारी सुविधाओं और लाभों के हकदार नहीं होंगे।
राजनीतिक दलों के लिए आयोग की सूची में शामिल होना कई मायनों में फायदेमंद होता है, जैसे चुनाव चिह्न का आवंटन, सरकारी सहायता और कर में छूट। लेकिन इन 115 दलों को अब ये लाभ नहीं मिलेंगे, जिसका असर उनके राजनीतिक गतिविधियों पर पड़ सकता है। आयोग ने इन दलों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए 30 दिनों का समय दिया है, जिसमें वे अपील दायर कर सकते हैं।
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यह कदम आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। आयोग का कहना है कि ऐसी समीक्षा समय-समय पर की जाएगी ताकि केवल सक्रिय और गंभीर दल ही मान्यता प्राप्त करें। उत्तर प्रदेश में यह कार्रवाई राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकती है, क्योंकि कई छोटे और निष्क्रिय दल अपनी पहचान खो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे चुनाव प्रणाली अधिक व्यवस्थित और निष्पक्ष होगी।
इस फैसले से प्रभावित दलों के नेताओं ने असंतोष जताया है और वे आयोग से इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग कर सकते हैं। 30 दिनों की अपील अवधि में वे अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। यह कदम निर्वाचन आयोग की उस पहल का हिस्सा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत करने के साथ-साथ स्वस्थ राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
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