गगनचुंबी इमारतों पर ‘सूर्यमुखी’ दुरुस्त करेगा सोलर सिस्टम, AKTU छात्रों ने बनाया AI युक्त रोबोटिक लाइनमैन
मार्कण्डेय पाण्डेय/ लखनऊ, अमृत विचार: जैसा नाम, वैसा ही सूर्यमुखी का काम। हम बात सूर्यमुखी पुष्प की नहीं, बल्कि युवा वैज्ञानिकों के उस सूर्यमुखी लाइनमैन की करेंगे जो सोलर उत्पादन को बढ़ा देगा। सोलर पैनल चाहे कितने भी ऊंची इमारत पर लगे हों उनमें साफ-सफाई, मरम्मत से लेकर गड़बड़ी का एलर्ट भी रखरखाव करने वाले लोगों का देगा। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के छात्रों ने यह कमाल किया है जो सौर उर्जा के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात करेगा। इसके लिए प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया है।
प्रोजेक्ट सूर्यमुखी के तहत छात्रों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित किया जाने वाला सोलर ट्रैकिंग और क्लीनिंग सिस्टम बनाया है, जिसका नाम इरेडियंस रखा है। इसकी विशेषता है कि यह सोलर पैनल को सूर्य की दिशा के हिसाब से गति कराएगा।
आमतौर पर 100 वॉट सोलर पैनल वास्तविक परिस्थितियों में 80 से 85 वॉट तक उत्पादन करता है, कारण कि यह स्थिर रहता है सूर्य की किरणें हर समय एक जैसी नहीं मिलती। धूल की वजह से उत्पादन घटकर 55-65 वॉट तक रह जाता है। छात्रों का यह प्रोजेक्ट उत्पादन क्षमता कुल उत्पादन के बाद 75-80 वॉट तक बढ़ाने में सक्षम है। यदि 100 वॉट का सोलर पैनल है तो इस रोबोटिक प्रयोग के बाद इसे 100 वॉट से भी अधिक किया जा सकता है।
मशीन लर्निंग, एआई का किया प्रयोग
यह प्रणाली मशीन लर्निंग का उपयोग करके सूर्य की स्थिति का पूर्वानुमान लगाती है, जिसमें सेंसर की आवश्यकता नहीं होती है। पैनल्स स्वचालित रूप से सूर्य की दिशा में घूमते हैं। इससे सेंसर की लागत भी बचती है और संपूर्ण सिस्टम किफायती बनता है।
स्मार्ट क्लीनिंग रोबोट
छात्रों का दूसरा नवाचार स्मार्ट क्लीनिंग रोबोट है। जो बेल्ट और पुली सिस्टम की सहायता से सौर पैनलों के ऊपर चलता है। इस रोबोट पर एक डुअल-एक्सिस ब्रश लगा होता है जो धूल और मलबे को साफ करता है, जिससे पैनलों की कार्यक्षमता और आयु दोनों बढ़ती हैं। इस रोबोट में एक कैमरा भी छात्रों ने लगाया है जो सौर पैनलों की निगरानी करता है। कैमरे द्वारा प्राप्त फीड को एक मूलभूत मशीन लर्निंग मॉडल प्रोसेस करता है, जो किसी भी खराबी या डिफेक्ट का पता लगाकर रखरखाव टीम को अलर्ट करता है।
कितनी लागत में होगा तैयार
यह प्रोजेक्ट प्रारंभिक लागत में लगभग 30-50 प्रतिशत की वृद्धि करता है, लेकिन इसके बदले यह 20-35 प्रतिशत तक तक अधिक ऊर्जा दक्षता प्रदान करता है। इसमें जो अतिरिक्त लागत निवेश होगा उसकी भरपाई 25 से 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन से हो जाएगी। इसके अलावा सोलर पैनल की उम्र भी कई गुना बढ़ जाती है। यदि एक सोलर पैनल की कीमत 1 लाख 80 हजार है तो रोबोट के प्रयोग के बाद यह ढाई से 3 लाख हो सकता है।
सूर्यमुखी न केवल भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में सौरऊर्जा की समस्या का समाधान है, बल्कि यह ऊर्जा क्षेत्र में एआई और ऑटोमेशन के नए आयाम भी खोलता है।-अभिनव दूबे, जान्ह्वी पांडे, अशुतोष सिंह, आर्यवीर सोनी और अविरल छात्रों की टीम
ये भी पढ़े : सैमसंग गैलेक्सी में लो-लाइट फोटोग्राफी का नया मजा, जाने खास फीचर और भी बहुत कुछ
