Kumbh Mela में बिना अनुबंध जारी किए 95.28 लाख..., कैग ने कुंभ मेला-2019 के कचरे के निपटान में पकड़ी अनियमितताएं
लखनऊ, अमृत विचार। विधानसभा के पटल पर मंगलवार को रखी गई भारत सरकार के लेखा महानियंत्रक की वर्ष 2017-18 से 2021-22 की रिपोर्ट में कुंभ मेला 2019 के कचरे के निपटान में अनियमितताएं पाई हैं। एक फर्म को बिना अनुबंध के 95.28 लाख रुपये जारी किए गए। यहीं नहीं फर्म को दिए गए 15 लाख रुपये के ऋण की वसूली भी नहीं हुई है, हालांकि सरकार ने वसूली के प्रयास करने की बात कही है।
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 15 जनवरी 2019 से चार मार्च 2019 तक कुंभ मेला का आयोजन हुआ था। इसमें निकले 10 हजार टन पुराने अपशिष्ट के निस्तारण के लिए मेसर्स हरी भरी रिसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड को अनुबंध किए बिना 95.28 लाख रुपये मई 2019 में जारी कर दिए गए। इसमें खाद की पैकिंग के लिए ऋण के रूप में फर्म को 15 लाख रुपये भी दिया गया था। इस मामले में राज्य सरकार ने मई 2020 में बताया था कि कुंभ मेला में निकले अपशिष्ट के प्रसंस्करण के बाद 1,345 मीट्रिक टन खाद का उत्पादन हुआ था।
इसमें से 604 मीट्रिक टन खाद को फर्म ने 15.10 लाख रुपये में बेचा था। इसके बावजूद जून 2023 तक ये राशि वसूली नहीं गई।हालांकि सरकार ने जून 2023 में जानकारी दी थी कि फर्म को पत्र लिखा गया है, धनराशि जल्द ही वापस ले ली जाएगी।
खेलों में खर्च पर उठे बड़े सवाल, पदकों की संख्या भी घटी
सीएजी की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में खेल सुविधाओं और खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए गए हैं। वर्ष 2016 से 2022 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में खेल के लिए खर्च किए गए अरबों रुपये के बावजूद सुविधाओं का सही उपयोग नहीं हुआ। 2007 में जहां यूपी के खिलाड़ियों ने 77 पदक जीते थे, वहीं 2022 में यह संख्या घटकर 56 रह गई। सबसे बड़ा मामला सैफई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का है, जिसे जून 2020 में 347.05 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। निर्माण के दो साल तक यहां कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच नहीं हुआ।
बीसीसीआई से कोई अनुबंध भी नहीं किया गया। इसी तरह, मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कालेज, सैफई में 207.96 करोड़ की लागत से बना अंतरराष्ट्रीय तरणताल आधुनिक सुविधाओं के बावजूद चालू नहीं हुआ। 37 जिलों में नौ तरणताल जीवन रक्षक की तैनाती और रखरखाव न होने से बंद पड़े रहे। खेल कालेजों में 26 से 46 प्रतिशत सीटें खाली रहीं, जबकि प्रशिक्षण शिविरों में 33 से 38 प्रतिशत प्रशिक्षकों की कमी रही। महिला प्रशिक्षकों की भी बड़ी कमी दर्ज की गई। सीएजी ने सुझाव दिया है कि खेल संरचनाओं के निर्माण से पहले विस्तृत सर्वे और जरूरत का आकलन हो। प्रशिक्षकों के रिक्त पद तुरंत भरे जाएं। खिलाड़ियों की शिकायतों के निस्तारण के लिए शिकायत निवारण तंत्र बने।
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