UP : बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसलों के नुकसान का होगा आकलन
बदायूं, अमृत विचार। जनपद के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का भारी नुकसान हुआ है। इससे किसानों के आगे अब रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। जिला प्रशासन ने बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के निर्देश तहसील प्रशासन को दिए हैं। तहसील प्रशासन जल्द ही तटवर्ती ग्रामों में फसलों की क्षति का विवरण एकत्र करेगा।
पहाड़ों पर पिछले 15 दिन से भारी बारिश हो रही है। नरौरा से लाखों क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया है। गंगा में अधिक पानी छोड़े जाने से उसहैत सहसवान क्षेत्रों में कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। अभी भी पानी गांवों में भरा हुआ है। बाढ़ आने से उसहैत क्षेत्र के ग्राम जटा, असमिया रफतपुर, प्रेमी नगला, सहित दर्जन भर गांवों के खेत खलिहान पछले 15 दिन से पानी में डूबे हुए हैं। इससे इन गांवों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। इन गांवों के सैकड़ों लोग गांव छोड़ कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। बाढ़ से हुई तबाही से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस क्षेत्र में करीब 10 हजार हेक्टेयर धान की फसल पानी में डूब चुकी है जो अब सड़ रही है। पानी खेतों में भरा हुआ है। बाजरा की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। साथ ही अन्य फसलों का नामोनिशान नहीं है। पूरा इलाका जलमग्न होने के कारण कुछ भी नहीं बचा है।
जिला प्रशासन ने दातागंज और सहसवान तहसील प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि बाढ़ ग्रस्त इलाकों में किसानों की फसलों का हुआ नुकसान मौके पर जाकर देखा जाए। किसानों से बात की जाए। कछला क्षेत्र के हुसैनपुर चंदनपुर आदि गांवों में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। इन गांवों में धान बाजरा की फसलें नष्ट हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अभी भी खेतों में पानी भरा हुआ है।
रामगंगा ने भी किया फसलों को नष्ट
रामगंगा में पिछले दो सप्ताह से जलस्तर बढ़ रहा है। बाढ़ ने इधर कई गांवों की फसलों को नष्ट कर दिया है। हजरतपुर से रसूलपुर के बीच करीब पांच हजार हेक्टेयर में धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है, जबकि आसपास के तमाम गांवों में बाढ़ का पानी भरा होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दातागंज तहसील प्रशासन ने फसलों के नुकसान को लेकर किसानों से बात करने को कहा है। जिला प्रशासन के आदेश पर जल्द ही फसलों की क्षति का आकलन किया जाएगा।
गंगा कर रही कटान, सहसवान में बहा मंदिर
बदायूं, अमृत विचार : गंगा में जलस्तर घटने के साथ ही पैनी हुई गंगा की लहरों ने सहसवान क्षेत्र के गांव जामनी के पास मंगलवार सुबह कटान शुरू कर दिया। सहसवान क्षेत्र में गंगा किनारे के गांव बड़ी मानपुर पुख्ता मजरा आसे नगला में मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर प्रांगण में हनुमान जी एवं शनि देव सहित काफी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित थीं। मंदिर के निकट से बह रही गंगा की पैनी धार ने मंगलवार को सुबह कटान तेज कर दिया। जिससे कुछ ही देर में मंदिर गंगा में समा गया। सहसवान एसडीएम को इसकी सूचना दी गई है। मंगलवार को नरौरा बैराज से गंगा में 1 लाख 28 हजार 716 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। प्रेमी नगला को जाने वाली सड़क पानी में कट चुकी है। गांव में पानी भरा हुआ है। जटा की और गंगा स्थिर बनी हुई है। तेज बहाव के चलते कई स्थानों पर कटान हो रहा है।
पशुओं को नहीं मिल रहा हरा चारा
उसहैत क्षेत्र में बाढ़ के चलते खेतों में खड़ा बाजरा धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। इससे ग्रामीणों के पशुओं को चारे का संकट पैदा हो गया है। पशु केवल भूसा खा रहे हैं जिससे पशुओं का पेट नहीं भर पा रहा है। बाहर से चारा आने की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन से हरे चारे की व्यवस्था कराने की मांग की है।
बाढ़ खंड सहायक अभियंता नेशपाल ने बताया कि नरौरा बैराज से लगातार एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। इससे गंगा तटवर्ती इलाकों में भारी तबाही मचा रही है। बाढ़ खंड के सभी बांध संवेदनशील हैं लेकिन सुरक्षित हैं। उनकी निगरानी की जा रही है। ग्रामीणों को धैये बनाए रखने को कहा गया है। जिला प्रशासन और बाढ़ खंड स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
