चीन, पाकिस्तान जैसे देशों की 'ऑफेंसिव स्ट्रैटेजी' का डटकर मुकाबला करना जरूरी, UPSIFS में बोले साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स
लखनऊ, अमृत विचार। राज्य सरकार भविष्य आधारित तकनीकों के प्रयोग के जरिए प्रदेश के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेस (यूपीएसआईएफएस) में तीन दिवसीय सेमिनार के तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को कई अहम विषयों पर लेकर चर्चा हुई। इसमें साइबर सुरक्षा से लेकर फॉरेंसिक साइंस की उन्नति से लेकर कई विषयों पर पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ जिसमें जीनोम मैपिंग, जिनियोलॉजिकल डाटाबेस निर्माण, एआई व आंत्रप्रेन्योरशिप जैसे मुद्दे प्रमुख रहे।
इसी कड़ी में साइबर क्राइम को लेकर एक्सपर्ट्स ने माना कि चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की ओर से भारत की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने की बढ़ती कोशिशों पर लगाम लगाने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स ने माना कि चीन-पाकिस्तान की ऑफेंसिव स्ट्रैटेजी का सामना करने के लिए भारत को तेजी से सिक्योर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करनेकी जरूरत है।
साइबर क्राइम की सबसे अहम कड़ी साइबर किल चेन को रक्तबीज बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे वैश्विक प्रयासों के जरिए ही तोड़ा जा सकता है। वहीं, फॉरेंसिक की फील्ड में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और भविष्य आधारित तकनीकों के प्रयोग के जरिए पीड़ितों को न्याय व सहायता दिलाने के साथ दोषियों को दंड दिलाने पर जोर दिया गया।
छोटा सा परिवर्तन डाल सकता है बहुत बड़ा प्रभाव
बुधवार को पैनल डिस्कशन में हिस्सा लेते हुए महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव ब्रजेश सिंह ने साइबर खतरे व पुलिसिंग के वैश्विक परिदृश्य को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज छोटा सा परिवर्तन बहुत बड़ा इंपैक्ट ला सकता है। हिज्बुल्ला पेजर अटैक इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि साइबर किल चेन रक्तबीज की तरह है।
भारत का सबसे बड़े पोर्ट यानी 3 महीने के लिए जीएनपीटी का पोर्ट ऑपरेट नहीं हो पाया एक मालवेयर के कारण। यह साइबर किल चेन का उदाहरण था। साइबर क्राइम इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक प्रयासों के जरिए ही तोड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लॉकबिट को तोड़ने के लिए 11 देशों की सुरक्षा एजेंसियों को साथ आकर काम करना पड़ा।
तेजी से बदल रही है हैकिंग की प्रक्रिया
ऑस्ट्रेलिया के साइबर एक्सपर्ट रॉबी अब्राहम ने वर्चुअल माध्यम से पैनल डिस्कशन में जुड़कर हैकिंग की बदलती प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, अब ई-मेल व सोशल मीडिया पर रैनसमवेयर और फिशिंगवेयर के जरिए साइबर हमले हो रहे हैं।
इसे रोकने के लिए रेगुलर सिक्योरिटी ट्रेनिंग, सभी अकाउंट को एमएफए इनेबल करना, एंटीवायरस का इस्तेमाल, ई-मेल और मैसेज के प्रति सजग रहकर साइबर हैकिंग और फ्रॉड से बचा जा सकता है। कार्यक्रम में ग्लोबल सप्लाई चेन में एडवांस्ड सिक्योरिटी मैनेजमेंट को लेकर साइबर एक्सपर्ट विवेक सूद ने भी भी अपने विचार रखे।
एआई के प्रयोग से फॉरेंसिक की दिशा में हो सकता है कमाल
निर्भया व गुडिया रेप केस का उदाहरण देकर ऑस्ट्रेलिया के साइबर एक्सपर्ट शांतनु भट्टाचार्य ने मिक्स्ड डीएनए एनालिसिस की जटिल प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि एडवांस एल्गोरिदम के जरिए पैटर्न रिकग्निशन व एफिशिएंसी को बढ़ावा मिलता है। इससे केस को सुलझाने में आसानी होती है और एक्यूरेट प्रोफाइल सेपरेशन में मदद मिलती है। एआई के जरिए माइक्रो पैटर्न को समझने में मदद मिलती है जिससे पीड़ित और आरोप के डीएनए को अलग करने में मदद मिलती है।
इन पैनलिस्ट्स ने रखा अपना पक्ष...
कार्यक्रम में एनसेस्ट्री इंटरफेस व फॉरेंसिक केसवर्क के विभिन्न पहलुओं पर सीडीआरआई लखनऊ के साइंटिस्ट राजेंद्र सिंह, आईईएसआर नोएडा के सीईओ आशीष दूबे, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलेयोसाइंसेस लखनऊ के साइंटिस्ट डॉ. नीरज राय व हैदराबाद के बायोएक्सिस कंपनी के सीईओ अमित कुमार ने अपना पक्ष रखा। जबकि, फॉरेंसिक आंत्रप्रेन्योरशिप के लेकर अमेरिकी साइबर एक्सपर्ट पवन शर्मा, आईआईआईटी लखनऊ के निदेशक एएम शेरी, बायोटॉक्स सॉल्यूशन के निदेशक शिव पूजन, एसआईएफएस नई दिल्ली के सीईओ रंजीत सिंह ने युवाओं को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में पैनसलिस्ट्स के साथ ही यूपीएसआईएफएस के एडिशनल डायरेक्टर राजीव मल्होत्रा, छात्र-छात्राएं व स्टाफ मौजूद रहे।
एक्सपर्ट्स बोले, फॉरेंसिक में करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए सेमिनार प्रेरणादायी
लखनऊ में सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेस (यूपीएसआईएफएस) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के सफल आयोजन पर एक्सपर्ट्स ने अभार जताया है। उन्होंने लॉ विद लैब्स के विजन को धरातल पर उतार रहे सीएम योगी की प्रशंसा करते हुए कहा कि सेमिनार के माध्यम से फॉरेंसिक साइंस के प्रति जागरूकता का प्रसार हुआ जिसका सबसे ज्यादा फायदा इस विधा में करियर बनाने वाले युवा छात्र-छात्राओं को होगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार, छात्र-छात्राओं को इस सेमिनार के माध्यम से न केवल धरातल पर हो रहे परिवर्तन की जानकारी मिली, बल्कि वैश्विक परिदृष्य में आ रहे बदलाव, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व अन्य भविष्य आधारित तकनीकों के इस्तेमाल के बारे में सार्थक जानकारी मिली जो न केवल प्रेरणादायी है बल्कि उनके लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा।
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