बीएसए, वित्त लेखाधिकारी समेत 7 पर FIR : अनामिका शुक्ला प्रकरण में फर्जी नियुक्ति और वेतन घोटाले का खुलासा
अमृत विचार, गोंडा : प्रदेश के बहुचर्चित अनामिका शुक्ला प्रकरण में जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और वित्त लेखाधिकारी समेत सात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है। मामला फर्जी अभिलेखों के आधार पर एडेड स्कूल में सहायक अध्यापक की तैनाती और फर्जी वेतन भुगतान से जुड़ा है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई FIR
नगर कोतवाली क्षेत्र के आवास विकास कॉलोनी निवासी प्रदीप पांडेय ने कोर्ट में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि जिस अनामिका शुक्ला ने खुद को बेरोजगार बताते हुए 2020 में तरबगंज स्थित भैया चंद्रभानदत्त स्मारक लघु माध्यमिक विद्यालय में नौकरी पाई, वह 2018 से ही उसी स्कूल में कार्यरत थी और नियमित वेतन ले रही थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित कुमार द्वितीय ने आदेश दिया कि इसमें शामिल अधिकारियों और प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की जाए।
किन-किन पर FIR?
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने प्राथमिकी में शामिल आरोपितों पर सरकारी अभिलेखों में हेरफेर, फर्जी नियुक्ति और सरकारी धन के गबन जैसे गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है।
- अतुल तिवारी (बीएसए, गोंडा)
- सिद्धार्थ दीक्षित (पूर्व वित्त लेखाधिकारी, वर्तमान में रायबरेली)
- दिग्विजयनाथ पांडेय (विद्यालय प्रबंधक)
- विद्यालय की प्रधानाचार्या
- सुधीर सिंह (लिपिक, बेसिक शिक्षा विभाग)
- अनुपम पांडेय (लेखा लिपिक)
- अनामिका शुक्ला (शिक्षिका)
एएसपी का बयान : अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी मनोज कुमार रावत ने कहा कि “न्यायालय के आदेश पर बीएनएसएस धारा 175(4) और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सरकारी दस्तावेजों का दुरुपयोग और सरकारी धन का गबन साबित होने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
अपने ही बुने जाल में फंस गई अनामिका : इस पूरे घोटाले में अनामिका शुक्ला की भूमिका चौंकाने वाली रही। अभिलेख बताते हैं कि वह 2018 से ही विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत थी और नियमित वेतन भी पा रही थी। लेकिन जब 2020 में उसका नाम कस्तूरबा स्कूल प्रकरण में आया तो उसने शपथ पत्र देकर खुद को बेरोजगार बताया और कहा कि उसके कागजात का दुरुपयोग हुआ है।
उसकी बात पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इसी बीच स्कूल प्रबंधक ने उसे नियुक्ति पत्र थमाकर और बड़ा खेल खेला। इस पूरे रैकेट में प्रबंधक से लेकर विभागीय बाबुओं तक की मिलीभगत उजागर हुई है।
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