कानपुर: करोड़ों की जमीन हड़पने में हाईकोर्ट से पूर्व पार्षद की जमानत याचिका नामंजूर

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Published By Deepak Mishra
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गैरजमानती वारंट के बाद बीती 15 जुलाई को घर पर कुर्की नोटिस हुआ था चस्पा

कानपुर, अमृत विचार। कूटरचित दस्तावेजों से करोड़ों की जमीन कब्जाने और फिर उसे बचने वाले वार्ड-19 बारासिरोही के पूर्व पार्षद प्रदीप मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। धोखाधड़ी कर जमीन कब्जाने में हाईकोर्ट ने पूर्व पार्षद की जमानत याचिका नामंजूर कर दी है।

मामले में पूर्व में उसके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हुआ फिर बीती 15 जुलाई को कोर्ट ने घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा किया था। जमानत याचिका खारिज होने पर पूर्व पार्षद की जल्द गिरफ्तारी भी पुलिस कर सकती है। मामला तीन साल पुराना है। जिसमें पूर्व पार्षद, उसके परिजनों समेत 20 लोगों के खिलाफ कोतवाली में जमीन कब्जाने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। 

कल्याणपुर के बारासिरोही के रहने वाले प्रताप सिंह ने न्यायालय के आदेश पर बारासिरोही से पार्षद रहे प्रदीप मिश्रा, उनके भाई अवधेश, पत्नी निहारिका, चचेरे भाई विपिन मिश्रा व उसकी पत्नी दीपा, बेटी ईशा के साथ गांव के सौरभ तिवारी समेत आठ नामजद व 12 अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

प्रताप सिंह का आरोप है कि उक्त आरोपियों ने मिलकर रवि पटेल नामक व्यक्ति को कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर दिव्यांश गोयल बता दिया। इसके बाद आरोपियों ने राजस्व दस्तावेजों को अपने हिसाब से तैयार कराकर सुशीला गोयल की कीमती जमीन हड़प ली। उस जमीन को बाद में बेंच भी डाला। जब पीड़ित पक्ष इसकी शिकायत करने पुलिस के पास पहुंचे तो सुनवाई नहीं हुई।

इस पर प्रताप सिंह ने कार्रवाई के लिए न्यायालय का सहारा लिया। कोर्ट के आदेश पर छह मार्च 2022 को उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई। मामले में बीती 15 जुलाई को कोर्ट ने बारासिरोही के पूर्व पार्षद प्रदीप मिश्रा व आरोपी सौरभ तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करते घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा किया था।

इस पर जमानत के लिए पूर्व पार्षद ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। बीती 27 अगस्त को हाईकोर्ट में पूरे मामले पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने प्रदीप मिश्रा की जमानत याचिका नामंजूर कर दी। मामले में पुलिस अब पूर्व पार्षद की तलाश कर रही है। उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।

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