Moradabad : नवजात की सांसों से डॉक्टरों ने जोड़ी अपनी धड़कन, दिया नया जीवन
मुरादाबाद, अमृत विचार। 20 अगस्त की शाम को बोरे में बंद मिली एक नवजात बच्ची जब महिला अस्पताल लाई गई, तो किसी को भरोसा नहीं था कि वह जिंदा बचेगी। थम रही सांसें, ठिठुरता शरीर और नाजुक धड़कनें… लेकिन इसी बच्ची की हर सांस के साथ डॉक्टरों ने अपनी धड़कनों की रफ्तार जोड़ दी। 11 दिनों तक मौत और जिंदगी के बीच लड़ी गई इस जंग में जिंदगी जीती। आज बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
एसएनसीयू में जिस दिन बच्ची भर्ती हुई उस दिन पीडियाट्रिशन डॉ. प्रतीक ड्यूटी पर थे। बोरे में बंद रहने के कारण बच्ची का शरीर ठंडा पड़ रहा था और सांसें धीमी थीं। वार्मर, ऑक्सीजन सपोर्ट और दवाओं के सहारे उसे जिंदगी की डोर से बांधने की कोशिश शुरू हुई। अगले दिन से बच्ची डॉ. सना की देखरेख में रही। पहले चार-पांच दिन बहुत मुश्किल थे। हर बार उसकी सांस धीमी पड़ती तो लगता जैसे हमारी भी सांस थम गई हो। हम सब उसे बच्चे की तरह देख रहे थे, डॉ. सना ने भावुक होते हुए कहा।
बच्ची इतनी कमजोर थी कि दूध तक नहीं पी पा रही थी। स्टाफ नर्सों ने रात-दिन देखभाल की। कभी-कभी लगता था कि वह हमें छोड़ देगी, लेकिन फिर उसकी छोटी-सी उंगलियां हमारी उंगलियों को पकड़ लेतीं और जैसे कहतीं मैं जिंदा रहना चाहती हूं। बताया कि अब बच्ची हर दो घंटे में खुद 3.5 एमएल दूध पी रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है और जल्द ही डिस्चार्ज की जा सकती है।
सिस्टर सोनिया ने नाम रखा गुड़िया
डॉ. सना ने बताया कि उनके साथ ही डॉ. किरन और डॉ. प्रतीक का भी इस सफर में काफी सहयोग रहा। स्टाफ नर्स प्रिया, पुष्पा, अनीता, अमित, रितु और रुबी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिस्टर सोनिया ने जब बच्ची को गुड़िया कहकर पुकारना शुरू किया तो फिर सभी उसे इसी नाम से बुलाने लगे।
