Kanpur flood: गंगा किनारे कई गांव डूबे, ग्रामीण करने लगे पलायन, शहर में भी घाटों पर हाई अलर्ट

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Published By Deepak Mishra
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बिठूर में 5 गांव में पानी घुसा, कटरी के क्षेत्रों में ग्रामीणों में हड़कंप, बरसात ने बढ़ाई मुसीबत

कानपुर, अमृत विचार। शहर में एक बार फिर बाढ़ से हालात हो गए हैं। बिठूर से लेकर ख्योरा कटरी तक के गंगा से सटे इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। करीब 12 गांवों और मजरे बुरी तरह प्रभावित हैं। दोनों ही जगहों के चार गांवों से लोग पलायन कर रहे हैं। कुछ जगहों पर तो ग्रामीण अपने घरों की छत पर ही पनाह लिए हुए हैं। सोमवार को यहां के ग्रामीण नाव व ट्रैक्टर से ही आवागमन करते रहे। कुछ स्थानीय सामन लिए बाढ़ का पानी मंझाते हुए पैदल पार करते दिखे। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कराए हैं। करीब 20 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। 

गंगा बैराज पर भी जलस्तर इस साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को यहां  114.87 मीटर पानी दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान से महज 13 सेमी. ही रह गया है। ख्योरा कटरी के सात मजरों, बिठूर के छह गांवो में बाढ़ का पानी घुस गया है। हालात यह है कि घरों के अंदर तक पानी है। करीब छह ग्रामीणों ने अपने जानवरों व गृहस्थी का जरूरी सामान लेकर गंगा बैराज पर टेंट लगाकर शरण ली है।

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ख्योरा कटरी के सभी सातों मजरों भगवानदीनपुरवा, भोपालपुरवा, लक्ष्मनपुरवा, गिल्लीपुरवा, बनियापुरवा, दुर्गापुरवा, मक्कपुरवा, बिठूर कटरी के तिषजा, डल्लापुररवा, चिरान, ईश्वरीगंज, ह्र्दयपुर और भारतपुरवा में गलियों तक बाढ़ का पानी घुस गया है। सबसे ज्यादा खराब हालात भगवानदीनपुरवा, भोपालपुरवा, लक्ष्मनपुरवा, दुर्गापुरवा के हैं।

यहां चार फीट तक पानी भरा है और घरों के भीतर तक घुस गया है। बिठूर के गांव में लोग सोमवार को पलायन करते दिखे। आवागमन के लिए लोग गलियों से नाव लेकर आ-जा रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि नावों की संख्या बढ़नी चाहिए। कई ग्रामीणों ने बाढ़ से बचने के लिए अपनी गृहस्थी घर की दूसरी मंजिल या छत पर रख ली है। पशुओं को लाकर गंगा बैराज पर बांध दिया है। लक्ष्मनपुरवा के सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र में करीब तीन से चार फीट तक पानी भरा है। सरकारी स्कूलों व आंगनवाडी केंद्रों में पानी भरने से इन्हें फिलहाल बंद कर दिया गया है।

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बाढ़ में आया मगरमच्छ, ग्रामीणों ने मार डाला

कटरी बिठूर के तिसजा गांव की गली में तीन से चार फीट लंबा मगरमच्छ दिखने से हड़कंप मच गया। गांव वालों ने लाठी-डंडों से हमला कर मगरमच्छ को मार डाला। बाद में वनविभाग की टीम शव लेकर चली गई। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ का पानी बढ़ने से मगरमच्छ सहित विषैले सांपों का खतरा भी बढ़ गया है।

खतरे के निशान से सिर्फ 13 सेंमी दूर जलस्तर

सोमवार को बैराज पर गंगा का जलस्तर इस साल में सबसे ज्यादा रहा। यह खतरे के निशान 115 मीटर से सिर्फ 13 सेंमी दूर है। बढ़ते जलस्तर का असर गंगा के घाटों से सटे इलाकों में दिख रहा है। बैराज पर जलस्तर 114.87 मीटर पर पहुंच गया है। यह 24 घंटे में ही 14 सेंमी बढ़ गया। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए बैराज के सभी 30 गेट खोलकर चार लाख 25 हजार 813 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। 

दो हजार बीघा फसल जलमग्न

बाढ़ से ख्योरा व बिठूर कटरी की करीब दो हजार बीघा फसल जलमग्न हो गई है। लौकी, तरोई, भिंडी, बैगन और बींसकी फसल चौपट हो गई है। किसानों को अपनी बर्बाद हुई फसल की चिंता सता रही है।

पक्का भोजन किया गया वितरित

प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए बनियापुरवा चौराहे पर बनाई गई बाढ़ चौकी में पका भोजन बांटा गया। पूर्व प्रधान अशोक निषाद और जिला पंचायत सदस्य पति मल्हू निषाद ने करीब 200 बाढ़ पीड़ितों के लिए रात का भोजन बनवाया। प्रधान दिनेश निषाद ने बताया कि अगर पानी इसी तरह बढ़ा तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। लोगो को अपनी गृहस्थी समेटकर गंगा बैराज पर शरण लेनी पड़ेगी। सोमवार को बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया।

वर्जन: लगातार बारिश का पानी आने से जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। अब नरौरा से कम पानी छोड़ा जा रहा है लेकिन चार दिन पहले हरिद्वार बैराज से काफी पानी छोड़ा गया था। तीन से चार दिन में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है... अजय कुमार, अवर अभियंता, बैराज निर्माण खंड-2।

गंगा की हालत: 
अप स्ट्रीम में पानी         114.87 मीटर
डाउन स्ट्रीम             114.37 मीटर
शुक्लागंज                 113.12 मीटर
कानपुर से छोड़ा गया पानी     435813 क्यूसेक
हरिद्वार से छोड़ा गया पानी     77539 क्यूसेक
नरोरा से छोड़ा गया पानी    130800 क्यूसेक

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